ठाकुर धर्म सिंह ब्रजवासी की रिपोर्ट
आगरा: उत्तर प्रदेश आगरा के राजकीय बाल गृह की अधीक्षिका बच्चों को चप्पलों से पीटती है। उन्हें मनहूस होने का ताना भी देती है। इसकी सच्चाई सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो से मिली है।
मंगलवार को राजकीय बाल गृह का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें बाल गृह की अधीक्षिका पूनम पाल एक बच्ची को चप्पल से बेरहमी से पीटती हुई दिख रही है। वीडियो संज्ञान में आने के बाद जिलाधिकारी भानु चंद्र गोस्वामी ने प्रशासनिक अधिकारियों को जांच के लिए राजकीय बाल गृह में भेजा। जांच में दोषी पाए जाने पर अधीक्षिका को पद से हटा दिया गया है। अधीक्षिका के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की संस्तुति की गई है। इस पूरे मामले से जिला प्रोबेशन अधिकारी कार्यालय में हड़कंप मचा रहा।
पचकुईंयां स्थित राजकीय बाल गृह में कुल 28 बच्चे बंद हैं। बाल गृह की अधीक्षिका पूनम पाल का व्यवहार बच्चों और कर्मचारियों के प्रति अच्छा नहीं है। बाल गृह में तैनात कर्मचारी अधीक्षिका के तानाशाही रवैए से काफी परेशान रहते हैं।
इस संबंध में बाल गृह में काम करने वाले कर्मचारियों ने भी जिलाधिकारी भानु चंद्र गोस्वामी से शिकायत भी की है। इधर, बच्ची के साथ मारपीट का वीडियो सामने आने पर डीएम ने तत्काल कार्रवाई के लिए जांच टीम को बाल गृह में भेज दिया।
जांच करने पहुंचे सिटी मजिस्ट्रेट आनंद कुमार ने बताया कि बाल गृह में लगे सीसीटीवी फुटेज की जांच करने पर वीडियो सही पाया गया।
वीडियो 4 सितंबर का है। अधीक्षिका का बच्चों के साथ व्यवहार अमानवीय था। प्रथम दृष्यता में अधीक्षिका पूनम पाल को दोषी पाया गया है। जिस पर उन्हें पद से हटा दिया गया है। उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की संस्तुति की गई है।
कर्मचारियों पर बनाती है दवाब
बाल गृह में काम करने वाली कविता का कहना है कि वह सफाई कर्मचारी के पद पर तैनात है, लेकिन अधीक्षिका उससे निजी काम भी लेती है। आया के पद पर तैनात बबिता का कहना है कि पूनम पाल बच्चों को आए दिन पीटती है। कई बच्चे इसके डर के कारण बीमार हो गए हैं। इनके इलाज में भी लापरवाही की जाती है। जब उनका विरोध किया जाता है तो उन्हें हटाने और कोर्ट में घसीटने का भय दिखाती है।
राजकीय बाल गृह में काम करने वाली अंजू, बेबी, दीपाली आदि से जिलाधिकारी से अधीक्षिका की शिकायत की है।
अधीक्षिका ने क्या दी सफाई
जिला प्रोबेशन अधिकारी अजय पाल ने बताया कि वीडियो सामने आने के बाद वे जांच करने के लिए राजकीय बाल गृह में पहुंचे थे। उन्होंने आया और अधीक्षिका से बयान लिए थे।
अधीक्षिका का कहना था कि बच्ची एक खेल खेल रही थी, जिसमें उसने अपने आपको एक बॉक्स में बंद कर लिया था। इसके बाद उस बच्ची ने ऊपर से उस बॉक्स की कुंडी भी लगवा ली थी। ये काम वह कई बार कर चुकी थी। जब अधीक्षिका को इसकी जानकारी हुई तो आवेश में आकर उसने बच्ची की पिटाई लगाई थी। सिटी मजिस्ट्रेट आनंद कुमार से अधीक्षिका ने बच्ची की पिटाई लगाने की बात को स्वीकारा है।
सवालों के घेरे में बाल कल्याण समिति
चाइल्ड राइट ऐक्ट के लिए काम करने वाले नरेश पारस का कहना है कि अधीक्षिका के तानाशाही रवैए की कहानी पुरानी है। प्रयागराज में एक 12 साल की बच्ची ने आहत होकर फांसी लगाकर जान दे दी थी।
इस प्रकरण में उन्हें अधीक्षिका पूनम पाल के खिलाफ कार्रवाई की थी। उन्होंने बताया कि जिस कैंपस में बाल गृह संचालित होता है। वही बाल कल्याण समिति की 5 सदस्सीय टीम भी रहती है। इसके अलावा दो सदस्यीय टीम बाल संरक्षण अधिकारी की भी बनी हुई है, जो हर महीने की जांच निरीक्षक की रिपोर्ट देती है। आखिर वे क्या काम कर रहे हैं?
बच्चों के साथ बाल गृह में मारपीट और उत्पीड़न हो रहा है। निगरानी करने वाली टीम मूक बनी हुई है। उन्होंने पूरे प्रकरण की जांच की मांग की है।
Author: samachar
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