मुरारी पासवान की रिपोर्ट
झारखंड के गढ़वा जिले के श्री बंशीधर नगर अंतर्गत धुरकी थाना क्षेत्र में प्रेम प्रसंग का एक अजीबो गरीब मामला सामने आया है।
दरअसल प्रेमी को प्रेमिका से छुपछुप कर मिलना बहुत भारी पड़ गया। दोनों के एक साथ आपत्तिजनक हालत में पकड़े जाने के बाद आक्रोशित ग्रामीणों ने पहले दोनों प्रेमी युगलों को बंधक बना लिया और फिर पंचायत बुलाकर दोनों के परिजनों के मौजूदगी में हिंदू रीति रिवाज से उनकी शादी करवा दी। अजब प्रेम की गजब कहानी की यह घटना पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गई है।
कुछ लोग घटना की चर्चा करते हुए प्रेमी प्रेमिका को मिली सजा को सही बता रहे हैं, तो वहीं कुछ कह रहे हैं कि चलो इसी बहाने प्रेमी युगलों की शादी तो हो गई, ग्रामीणों द्वारा करवाई गई शादी के बाद प्रेमी युवक अपनी प्रेमिका को लेकर अपने घर चला गया। युवक ने बताया कि पिछले 1 साल से दोनों के बीच प्रेम प्रसंग चल रहा था।
ग्रामीणों ने आपत्तिजनक हालत में पकड़ा तो करवा दी शादी
इसी बीच मंगलवार को वह अपनी प्रेमिका से मिलने खुटिया गांव पहुंचा था। दोनों गांव से थोड़ी दूर पर स्थित देवी धाम के पास के पेड़ के समीप मौजूद थे इसी दौरान कुछ ग्रामीणों ने दोनों को आपत्तिजनक हालत में देख लिया और शोर मचाने लगे। जिसके बाद वहां ग्रामीणों की भीड़ जुट गई इसके बाद गांव वासियों ने प्रेमी युगलों से पूछताछ के उपरांत उनके परिजनों को बुलाकर, पंचायत के समक्ष शादी करवाने का फैसला किया। दोनों प्रेमी प्रेमिका की शादी गांव के ही मंदिर में हिंदू रीति रिवाज से करवाई गई।
दरसल झारखंड के गढ़वा जिला के धुरकी थाना क्षेत्र के खाला गांव का रहने वाला युवक रवि कुमार भारती का धुरकी थाना क्षेत्र के ही खुटिया पंचायत की रहने वाली दुर्गा कुमारी नामक युवती के अफेयर चल रहा था। दोनों ग्रामीणों की नजर से छुपछुपा कर अक्सर मिला करते थे, इसी बीच मंगलवार की देर रात रवि दुर्गा से मिलने खुटिया गांव पहुंचा था। जिसके बाद दोनों को ग्रामीणों ने एक साथ पकड़ लिया, और फिर पंचायत बुलाकर दोनों के परिजनों की मौजूदगी में हिंदू रीति रिवाज से उनकी शादी करवा दी।
शादी समारोह के दौरान बड़ी संख्या में पंचायत के प्रतिनिधियो के अलावा दोनों के परिजन और गांव की महिला पुरुष मौजूद थे। इस अजब प्रेम की गजब कहानी वाली यह घटना पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गई है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."