अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
प्रयागराज: दुल्हन को लाने के लिए आमतौर पर आपने दूल्हे को बारात लेकर उसके घर जाते देखा और सुना होगा, लेकिन बदलते वक्त के साथ शादियों के तौर-तरीकों में भी बदलाव आए हैं।
संगम नगरी में पिछले पंद्रह साल से दिव्यांग लोगों का अनूठा सामूहिक विवाह आयोजित किया जाता है जिसमें दुल्हन बग्घी पर बैठकर बारात लाती है।
इस आयोजन में खान-पान या किसी अन्य चीज की कोई कमी नहीं होती। कार्यक्रम के संयोजक श्रीनारायण यादव ने बताया कि स्वराज दिव्यांगजन सेवा परिवार द्वारा इस बार यह सामूहिक विवाह 18 फरवरी को बैंक रोड स्थित राजर्षि टंडन सेवा केंद्र के प्रांगण में आयोजित किया जाएगा जिसमें कुल 12 दिव्यांग जोड़ों का विवाह होगा।
उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम पूरी तरह से जन भागीदारी से होता है जिसके जरिये पिछले 15 वर्षों में लगभग 350 दिव्यांग लोगों का घर बसाया जा चुका है। नगर और बाहर के गणमान्य लोग दंपति को गृहस्थी का सामान भेंट करते हैं।
हर वर्ष सलीम शेरवानी की ओर से सिलाई मशीन, चौक के कुलदीप भैया की ओर से आलमारी, इनर व्हील क्लब की ओर से पलंग आदि भेंट किया जाता है।
लोक सेवक मंडल के राजकुमार चोपड़ा की तरफ से गेस्ट हाउस की व्यवस्था की जाती है। यादव ने बताया कि विवाह से पूर्व 17 फरवरी को हल्दी रस्म का आयोजन किया जाएगा जिसमें मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति विजयलक्ष्मी होंगी।
हिंदू दिव्यांग जोड़ों का विवाह प्रकाश जी (छोटे महाराज जी) के नेतृत्व में पंडित करेंगे, जबकि मुस्लिम दिव्यांगों का निकाह इद्रीश रजा मिसबाही की अगुवाई में किया जाएगा। उन्होंने बताया कि विवाह कार्यक्रम के मुख्य अतिथि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति नीरज तिवारी होंगे और कार्यक्रम की अध्यक्षता लोक सेवा मंडल के अध्यक्ष राजकुमार चोपड़ा करेंगे। वहीं सारस्वत अतिथि राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी होंगे।
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्तर पर दिव्यांगजनों के लिए काम करने वाली हस्तियों जैसे जम्मू कश्मीर से वीरेंद्र लंगू, महाराष्ट्र से मनोज शशिकांत पटवारी, उत्तराखंड से तनवीर आलम, लखनऊ से विष्णुकांत मिश्र, दिल्ली से डॉक्टर देशराज और प्रयागराज से कविता यादव त्रिपाठी को सम्मानित किया जाएगा।
ज्ञात हो कि उच्च न्यायालय की अधिवक्ता सुभाष राठी के विशेष सहयोग से शुरू हुआ यह सिलसिला आज बहुत बड़ा आकार ले चुका है और जन सहयोग से एक नेक कार्य का इससे अच्छा उदाहरण शायद ही कहीं देखने को मिले।
इस आयोजन के लिए किसी से चंदा नहीं मांगा जाता, बल्कि लोग खुद बढ़ चढ़कर आगे आते हैं और सहयोग करते हैं।
Author: samachar
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