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6 February 2025 4:12 am

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बेरहम शिक्षक ; फीस जमा नहीं किया तो बच्चे के साथ की ऐसी जालिमाना हरकत… कहां है रामराज्य की परिकल्पना…

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कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट 

बलिया: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बलिया जिले से मानवता को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है। दरअसल, रसड़ा कोतवाली क्षेत्र स्थित एक पब्लिक स्कूल में फीस जमा नहीं करने पर हुई पिटाई और कक्षा में 4 घंटे तक बेंच पर दोनों हाथ ऊपर करके खड़ा रहने की मिली तालिबानी सजा से पहली कक्षा का एक छात्र लकवे का शिकार हो गया। वहीं मामला सामने आने पर पुलिस ने प्रधानाचार्य को गिरफ्तार किया है।

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पुलिस ने कहा कि आरोपी शिक्षक, प्रधानाचार्य और प्रबंधक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करके शनिवार को प्रधानाचार्य को गिरफ्तार किया गया। पुलिस चौकी प्रभारी अशोक कुमार शुक्ला ने शनिवार को बताया कि पुलिस ने आरोपी प्रधानाचार्य सत्येंद्र पाल को गिरफ्तार कर लिया है और दो अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी का प्रयास किया जा रहा है। परिजनों ने आरोप लगाया है कि रसड़ा कस्बे में स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल के कक्षा एक के छात्र अयाज अख्तर (7) को 27 जनवरी की फीस जमा नहीं करने के कारण स्कूल की शिक्षिका अफसाना ने कक्षा में चार घंटे तक दोनों हाथ उठाकर खड़ा रहने का दंड दिया। परिजनों के मुताबिक छात्र के पैरों पर भी पिटाई की गई, जिसके कारण अयाज बेहोश होकर गिर गया तथा वह लकवे का शिकार हो गया।

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अयाज अख्तर का सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें वह कह रहा है कि फीस जमा नहीं करने पर उसकी मोटे डंडे से पिटाई की गई। अख्तर के साथ ही पढ़ने वाली उसकी चचेरी बहन अली जाबा ने भी पत्रकारों को बताया कि शिक्षक ने मोटे डंडे से अयाज की पिटाई की थी। पुलिस के अनुसार इस मामले में विद्यालय के प्रबंधक प्रद्युम्न वर्मा, प्रधानाचार्य सत्येंद्र पाल व अध्यापक अफसाना के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 325 व 506 में नामजद मामला दर्ज किया गया है। पुलिस को दी गई तहरीर में आरोप लगाया गया है कि व्यापार मंदा होने के कारण 4 माह की फीस जमा नहीं की जा सकी, इसी को लेकर अयाज अख्तर को विद्यालय में सुबह 10 बजे से दोपहर एक बजे तक दोनों हाथ ऊपर रखकर बेंच पर खड़ा रहने को बाध्य किया गया। शिकायत के मुताबिक, इसके कारण अयाज अख्तर के शरीर में रक्त का संचालन असंतुलित हो गया तथा वह लकवे का शिकार हो गया।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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