दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
बदायूं। श्रीरामचरितमानस के कुछ हिस्सों पर पाबंदी लगाने की मांग करके विवादों से चौतरफा घिरे समाजवादी पार्टी (सपा) विधान परिषद सदस्य स्वामी प्रसाद मौर्य का उनकी बेटी एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद संघमित्रा मौर्य ने बचाव किया है। संघमित्रा का कहना है कि उनके पिता ने श्रीरामचरितमानस की जिस चौपाई का जिक्र करते हुए उसे आपत्तिजनक बताया है, उस पर विद्वानों के साथ चर्चा की जानी चाहिए।भगवान राम के चरित्र के विपरीत है लाइनबदायूं से भाजपा की सांसद संघमित्रा ने संवाददाताओं से बातचीत में अपने पिता स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा श्रीरामचरितमानस को लेकर की गई टिप्पणी पर उठे विवाद के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘पिता जी ने रामचरितमानस को पढ़ा है। हालांकि मेरी इस संबंध में उनसे कोई बात नहीं हुई है लेकिन उन्होंने अगर एक चौपाई का उदाहरण दिया है तो शायद इसलिए क्योंकि वह लाइन स्वयं भगवान राम के चरित्र के विपरीत है। जहां भगवान राम ने जाति को महत्व दिए बगैर शबरी के जूठे बेर खाये, वहीं उस चौपायी में जाति का वर्णन किया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने (स्वामी प्रसाद मौर्य) उस लाइन को संदेह की दृष्टि से उद्धत करके स्पष्टीकरण मांगा तो हमें लगता है स्पष्टीकरण होना चाहिए। यह विषय मीडिया में बैठ कर बहस करने का नहीं है। हमें लगता है कि यह विश्लेषण का विषय है। इस पर विद्वानों के साथ बैठकर चर्चा होनी चाहिए।
रामचरितमानस को बताया था बकवासभाजपा सांसद ने कहा, जब हमें कोई चीज भगवान के विपरीत ही मिलती है तो हमें स्पष्टीकरण चाहिए होता है। संघमित्रा ने महान कवित्री महादेवी वर्मा की एक कविता में भी इस चौपाई पर सवाल उठाए जाने का दावा करते हुए कहा कि उन्होंने भी कहा था कि वह हैरान हैं कि किसी महिला ने अभी तक इस पर उंगली क्यों नहीं उठाई। उन्होंने कहा, वह (मौर्य) हमारे पिता हैं, इसलिए मैं उनका बचाव नहीं कर रही हूं, बल्कि मैं कह रही हूं कोई व्यक्ति किसी भी बात को बोलता है तो उसकी बात को जब तक हम पूरी तरह समझ न लें, हमें टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। गौरतलब है कि सपा के विधान परिषद सदस्य स्वामी प्रसाद मौर्य ने गत रविवार को कहा था, ”रामचरितमानस की कुछ पंक्तियों में जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर यदि समाज के किसी वर्ग का अपमान हुआ है तो वह निश्चित रूप से धर्म नहीं है। यह ‘अधर्म’ है।”
मौर्य ने कहा था, रामचरित मानस की कुछ पंक्तियों में तेली और ‘कुम्हार’ जैसी जातियों के नामों का उल्लेख है जो इन जातियों के लाखों लोगों की भावनाओं को आहत करती हैं।” मौर्य ने मांग की कि पुस्तक के ऐसे हिस्से, जो किसी की जाति या ऐसे किसी चिह्न के आधार पर किसी का अपमान करते हैं, पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। प्रदेश की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य पिछले साल हुए राज्य विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा छोड़कर सपा में शामिल हो गये थे। मौर्य ने कुशीनगर जिले की फाजिलनगर सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए थे। हालांकि बाद में सपा ने उन्हें विधान परिषद का सदस्य बना दिया था।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."