Explore

Search
Close this search box.

Search

18 January 2025 2:19 pm

लेटेस्ट न्यूज़

क्रूरता ; पहले खिलाया भांग के लड्डू फिर आंखों में डाला मोबिल आयल और पीट पीट कर ले ली जान…..

32 पाठकों ने अब तक पढा

दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

बदायूं। बंदरों की हत्या के मामले में अब तक कुछ स्पष्ट सामने नहीं आया है। प्राथमिक जांच में ऐसा बताया गया कि बंदरों को पहले भांग के लड्डू खिलाए गए, इसके बाद उनकी आंखाें पर मोबिल ऑयल डाला गया। जब वह देख नहीं पा रहे होंगे तब उन्हें पीट पीट कर मार डाला गया। देर रात तक पोस्टमार्टम की कार्यवाही चलती रही। इसकी असल वजह मंगलवार को ही पता चल सकेगी।

कुछ प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो उसांवा और गूरा गांव के रास्ते पर जहां बंदराें के शव मिले वहां कोई मारपीट नहीं हुई। बताते हैं कि एक ऑटो से बोरे में भरकर बंदर वहां लाए गए और फेंक दिए गए थे। बोरे को खोलने पर पता चला कि उसमें बंदर हैं। इसके बाद और भी कई बंदर वहां एकत्र हो गए थे, लेकिन बाद वह चले गए। जब ग्रामीणों ने देखा तो उसका वीडियो बनाया।

कुछ लोगों ने बताया कि यह पूरा घटनाक्रम पास में ही स्थित गांव करौली का है। जहां एक मंदिर पर बंदरों का झुंड बना रहता था। वहां के लोगों ने परेशान होकर ऐसा काम किया। हालांकि इसकी कोई पुष्टि नहीं कर रहा है। इधर मामले की जानकारी मिलते ही पशु प्रेमी विकेंद्र शर्मा और वन विभाग के रेंजर रविंद्र बिस्ट मौके पर पहुंचे और विस्तार से जांच पड़ताल की है।जिसमें देखने से बंदरों को नशीला पदार्थ खिलाए जाने के बाद पीटे जाने के लक्षण मिल रहे हैं।

वन्य जीव संरक्षण एवं पशु क्रूरता अधिनियम

जानकार बताते हैं कि वन्य जीव संरक्षण की अलग अलग अनुसूची होती हैं। इनमें जीवों को भी श्रेणी है। अनुसूची एक और दो में सात साल से अधिक की सजा है, जबकि तीन और चार में सात साल से कम की सजा होती है। बंदर अनुसूची एक में आता है, इसलिए इस मामले में आरोपित को कम से कम सात साल की सजा होगी। वहीं पशु क्रूरता अधिनियम की धारा 428 और 429 के तहत कम से दो साल की सजा और 25 हजार रुपये का जुर्माना होता है।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

लेटेस्ट न्यूज़