“भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने 286 दिनों की अंतरिक्ष यात्रा सफलतापूर्वक पूरी की। जानिए कैसे उन्होंने चुनौतियों का सामना किया और इस मिशन ने अंतरिक्ष विज्ञान में नया इतिहास रचा।”
भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने हाल ही में 286 दिनों की अंतरिक्ष यात्रा सफलतापूर्वक पूरी की है। उनकी इस उपलब्धि ने न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व में गर्व का माहौल बनाया है। सुनीता की इस यात्रा में उनके साथ बुच विल्मोर भी शामिल थे, और दोनों ने मिलकर अंतरिक्ष में कई महत्वपूर्ण कार्य संपन्न किए।
अंतरिक्ष में जीवन की चुनौतियाँ
अंतरिक्ष में रहना अपने आप में एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। वहाँ पानी, ऑक्सीजन और ताजे खाने की कमी होती है। अंतरिक्ष यात्री अपने मूत्र और पसीने को पुन:चक्रित करके पानी प्राप्त करते हैं। भोजन डिब्बाबंद होता है, जो वे अपने साथ ले जाते हैं। ‘शून्य गुरुत्वाकर्षण’ में जीवन जीना सामान्य नहीं होता, लेकिन सुनीता और उनके साथियों ने इन चुनौतियों का सामना करते हुए महत्वपूर्ण शोध कार्य किए।
सुनीता विलियम्स की अंतरिक्ष यात्राएँ
सुनीता विलियम्स अब तक तीन बार अंतरिक्ष यात्रा कर चुकी हैं, जिसमें कुल 609 दिन अंतरिक्ष में बिताए हैं। उनसे आगे केवल अमेरिका की पेगी विटसन हैं, जिन्होंने 675 दिन अंतरिक्ष में बिताए हैं, जबकि विश्व कीर्तिमान रूस के ओलेग कोनोनेन्को के नाम है, जिन्होंने 1110 दिन अंतरिक्ष में बिताए हैं।
अंतरिक्ष में भारतीय संस्कृति की झलक
अपनी पहली अंतरिक्ष यात्रा के दौरान, सुनीता विलियम्स भगवद्गीता की एक प्रति, भगवान शिव की एक मूर्ति, और ‘ओम’ का प्रतीक अपने साथ ले गई थीं, जिससे उनकी भारतीय संस्कृति के प्रति गहरी आस्था प्रकट होती है।
पैतृक गाँव की प्रार्थनाएँ
सुनीता के पिता दीपक पंड्या की पारिवारिक जड़ें भारत के गुजरात में हैं। उनके पैतृक गाँव झूलासण (मेहसाणा जिला) में उनकी सुरक्षित वापसी के लिए ‘अखंड ज्योति’ प्रज्वलित रही और निरंतर प्रार्थनाएँ की गईं। यह आस्था और विश्वास की जीत है, साथ ही अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भी विजय है।
स्पेसएक्स और नासा का सहयोग
इस मिशन में स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल का उपयोग किया गया, जिसने अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर लौटाया। यह स्पेसएक्स का 49वां सफल मिशन था, जो अंतरिक्ष अन्वेषण में निजी कंपनियों की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है।
सुनीता विलियम्स की यह यात्रा न केवल विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है। उनकी उपलब्धियाँ दिखाती हैं कि समर्पण, मेहनत और दृढ़ संकल्प से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

Author: जगदंबा उपाध्याय, मुख्य व्यवसाय प्रभारी
जिद है दुनिया जीतने की