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3 March 2025 6:34 pm

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बिजली विभाग के निजीकरण पर अखिलेश ने ‘लूट, झूठ और बेईमानी’ की नीति पर सरकार को कहा चल रही है

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चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रविवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश सरकार पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत निगम का निजीकरण करने पर आमादा है, जिससे जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा और सरकारी नौकरियां खत्म हो जाएंगी।

सरकारी संस्थानों के निजीकरण का आरोप

अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार सरकारी संस्थाओं का निजीकरण कर नौकरियों और आरक्षण को खत्म करने की साजिश रच रही है। उन्होंने आगे कहा,

“पहले केंद्र सरकार ने कई सरकारी संस्थानों को निजी हाथों में सौंप दिया और अब उत्तर प्रदेश सरकार भी उसी रास्ते पर चल रही है। सरकार अरबों की संपत्तियां पूंजीपतियों को सौंपने की योजना बना रही है।”

पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) के खिलाफ साजिश?

सपा अध्यक्ष ने भाजपा पर संविधान और आरक्षण विरोधी नीतियां अपनाने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) को नौकरियों और आरक्षण से वंचित करने के लिए नए-नए षड्यंत्र कर रही है। उन्होंने दावा किया कि इस नीति का विरोध कर्मचारी और आम जनता दोनों कर रहे हैं, लेकिन भाजपा सिर्फ अपने चंदे और मुनाफे के लिए सरकारी संपत्तियां पूंजीपतियों के हाथों में सौंपने को तैयार है।

लूट, झूठ और बेईमानी” की नीति पर चल रही सरकार

अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि निजीकरण से सरकारी नौकरियां खत्म हो जाती हैं और निजी कंपनियां मनमाने तरीके से महंगाई बढ़ाने का काम करती हैं। इसका सबसे बड़ा नुकसान पीडीए वर्ग को होता है, जो बाबा साहब भीमराव अंबेडकर द्वारा दिए गए आरक्षण के लाभ से वंचित हो जाते हैं।

अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा,

“सरकार ‘लूट, झूठ और बेईमानी’ की नीति पर काम कर रही है। भाजपा की नीतियां केवल पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए बनाई जा रही हैं, जबकि आम जनता महंगाई, बेरोजगारी और अन्य समस्याओं से जूझ रही है।

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भविष्य की राजनीति पर नजर

अखिलेश यादव के इन बयानों को आगामी चुनावों की रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है। सपा लगातार भाजपा सरकार की नीतियों को जनता के सामने लाने की कोशिश कर रही है। अब देखना यह होगा कि भाजपा सरकार इन आरोपों का किस तरह जवाब देती है और निजीकरण के इस मुद्दे पर आगे क्या रुख अपनाती है।

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