अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
भगवा लहराते ही इनकी खुल गई किस्मत, फल पानी या अन्य सामग्रियों की दुकानें अब पहचाने जाने लगी है।
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में पिछले साल सावन महीने के दौरान शुरू हुआ नेमप्लेट प्रकरण काफी सुर्खियों में रहा था। अब महाशिवरात्रि के अवसर पर कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानों पर तिरंगे झंडे और भगवा ध्वज लगाने का नया चलन देखने को मिल रहा है।
ध्वज लगाने से बढ़ी दुकानदारों की आमदनी
हाइवे किनारे दुकानदारों का कहना है कि तिरंगा और भगवा ध्वज लगाने के बाद से उनकी आमदनी में इजाफा हुआ है। फल-फ्रूट और जूस बेचने वाले दुकानदारों के अनुसार, अब ग्राहक बिना नाम पूछे सामान खरीद रहे हैं। पहले कई बार यात्री दुकानदारों से उनका नाम पूछते थे, लेकिन अब केवल ध्वज देखकर ही वे आसानी से खरीदारी कर रहे हैं।
पहले ग्राहकों को क्यों होती थी हिचकिचाहट?
दूसरे राज्यों से आने वाले यात्रियों ने बताया कि पहले उन्हें यूपी के कुछ इलाकों में खाद्य पदार्थों में मिलावट की अफवाहों के कारण सड़क किनारे से कुछ भी खरीदने में संकोच होता था। हालांकि, अब तिरंगा और भगवा ध्वज देखकर वे निश्चिंत होकर सामान खरीद रहे हैं।
धर्म के नाम पर भेदभाव की आशंका
हालांकि, इस पूरे मामले पर मुस्लिम दुकानदारों ने नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि कुछ लोग समाज को बांटने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनकी यह साजिश कभी सफल नहीं होगी। हाईवे पर सामान खरीद रहे कुछ युवाओं ने भी इस भेदभाव को गलत बताते हुए कहा कि भारत में हिंदू और मुस्लिम हमेशा साथ काम करते आए हैं और आगे भी करेंगे।
समाज में सौहार्द बनाए रखना आवश्यक
कांवड़ यात्रा के दौरान इस तरह की घटनाएं यह दर्शाती हैं कि धार्मिक भावनाएं व्यापार को प्रभावित कर सकती हैं। हालांकि, यह भी जरूरी है कि किसी भी समुदाय को नीचा दिखाने या भेदभाव फैलाने से बचा जाए। भारत की पहचान हमेशा से उसकी एकता और विविधता में निहित रही है, और इसे बनाए रखना सभी नागरिकों की जिम्मेदारी है।
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Author: जगदंबा उपाध्याय, मुख्य व्यवसाय प्रभारी
जिद है दुनिया जीतने की