सुशील कुमार मिश्रा की रिपोर्ट
बांदा/करतल। कस्बे और आसपास के क्षेत्रों में अवैध खनन और ओवरलोडिंग का सिलसिला दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। प्रशासनिक नियमों को ताक पर रखकर खनन माफिया धड़ल्ले से अपना कारोबार चला रहे हैं, जिससे शासन को प्रतिदिन लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है। लेकिन, हैरानी की बात यह है कि प्रशासनिक अधिकारी मूकदर्शक बने बैठे हैं।
बेलगाम ओवरलोडिंग से जनता परेशान
कस्बे से होकर गुजरने वाले ओवरलोड ट्रक और डंपर न केवल यातायात के लिए खतरा बन गए हैं, बल्कि इनकी अनियंत्रित गति से दुर्घटनाओं का खतरा भी बढ़ गया है। सड़कें खस्ताहाल हो चुकी हैं और स्थानीय लोग दहशत में जीने को मजबूर हैं।
प्रशासनिक लापरवाही से माफियाओं का बढ़ा हौसला
बांदा जिले की तहसील नरैनी के अंतर्गत बिलहरका, बरसढ़ा मानपुर, गोपरा, पुकारी, लहुरेटा के अलावा मध्य प्रदेश के सीमावर्ती इलाके जैसे चंदौरा, नेहरा, बरौली आदि में खनन माफिया बेखौफ अपना खेल खेल रहे हैं। यहां से बालू लदे ओवरलोड ट्रक बिना किसी रोकटोक के गुजर रहे हैं।
नामी-गिरामी कंपनियों के नाम पर संचालित बालू भंडारण से निकले ये ओवरलोड वाहन नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए प्रदेश की सीमाओं को पार कर रहे हैं। खासकर मध्य प्रदेश की खदानों से उत्तर प्रदेश के रास्ते आने-जाने वाले भारी वाहनों के कारण सड़कों की हालत बदतर हो गई है।
सरकार की छवि पर असर
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अवैध खनन और ओवरलोडिंग पर सख्त कार्रवाई की बात करते हैं, लेकिन स्थानीय प्रशासन की उदासीनता के चलते यह गोरखधंधा बेखौफ जारी है। जिम्मेदार अधिकारियों की निष्क्रियता से सरकार की छवि भी धूमिल हो रही है। जनता अब सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाने लगी है, क्योंकि अवैध खनन और ओवरलोडिंग पर कोई ठोस कार्रवाई होते नहीं दिख रही।
जरूरी है कठोर कार्रवाई
यदि प्रशासन जल्द ही इस समस्या पर गंभीरता नहीं दिखाता, तो आने वाले दिनों में यह स्थिति और भी भयावह हो सकती है। शासन को न केवल अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे, बल्कि ऐसे अकर्मण्य अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करनी होगी जो इस अवैध कारोबार को अपनी आंखों के सामने बढ़ावा दे रहे हैं।
अब देखना यह है कि प्रशासन कब तक इस गंभीर समस्या पर आंख मूंदे बैठा रहेगा, या फिर सरकार की छवि बचाने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे।

Author: samachardarpan24
जिद है दुनिया जीतने की