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11 February 2025 6:01 pm

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प्रशासन की सरपरस्ती में फल-फूल रहा अवैध खनन, ओवरलोडिंग से बढ़ा हादसों का खतरा

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सुशील कुमार मिश्रा की रिपोर्ट

करतल, बाँदा । कस्बा करतल और आसपास के क्षेत्रों में अवैध खनन का धंधा प्रशासन की नाक के नीचे बेखौफ तरीके से जारी है। दैत्याकार मशीनों के जरिए दिन-रात नदियों से बालू निकाली जा रही है, और ओवरलोड ट्रकों के जरिए इसे परिवहन किया जा रहा है। स्थानीय पुलिस और प्रशासन की उदासीनता या मिलीभगत के चलते यह अवैध कारोबार चरम पर है।

प्रशासन की चुप्पी और पुलिस की मिलीभगत

सूत्रों के अनुसार, इस अवैध खनन में पुलिस और प्रशासन की मिलीभगत साफ देखी जा सकती है। कहीं ठेके की आड़ में तो कहीं डंपिंग ग्राउंड के बहाने बालू का अवैध दोहन किया जा रहा है। स्थानीय पुलिस की मिलीभगत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ओवरलोड ट्रकों और ट्रैक्टर-ट्रॉलियों की आवाजाही बिना किसी रोक-टोक के जारी है। रात के अंधेरे में 20 से 25 ट्रैक्टर-ट्रॉली अवैध बालू लेकर निकलती हैं, और पुलिस इनकी सुरक्षा करती नजर आती है।

खनिज विभाग और प्रशासनिक अधिकारियों की चुप्पी कई सवाल खड़े करती है। केन, रंज और बागै नदियों के साथ-साथ सीमावर्ती मध्य प्रदेश की नदियों में भी यह अवैध खनन बड़े पैमाने पर हो रहा है। इस कारण न सिर्फ जलस्तर में गिरावट आ रही है, बल्कि जलीय जीवों का जीवन भी संकट में पड़ गया है।

ओवरलोड वाहनों से सड़कें बेहाल, दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ा

इन भारी वाहनों की वजह से सड़कें भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। ओवरलोड ट्रकों और ट्रैक्टरों की तेज रफ्तार से हर समय दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है। हाल ही में एक ऐसा ही हादसा सामने आया, जब 10 फरवरी 2025 की रात लगभग 11:30 बजे करतल से नरैनी मुख्य मार्ग पर एक अवैध बालू से लदा ओवरलोड ट्रैक्टर बिलहरका मार्ग से निकलते समय एक स्विफ्ट डिजायर कार से टकरा गया। टक्कर इतनी जोरदार थी कि कार बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई और उसमें बैठे लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।

इस मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि जब पुलिस मौके पर पहुंची, तो ट्रैक्टर-ट्रॉली को गायब कर दिया गया और सिर्फ दोनों क्षतिग्रस्त वाहनों को चौकी में खड़ा कर लिया गया। पुलिस की इस कार्रवाई से साफ जाहिर होता है कि वह अवैध खनन माफियाओं को बचाने में पूरी तरह सक्रिय है।

कब जागेगा प्रशासन?

करतल और आसपास के क्षेत्रों में अवैध खनन का यह कारोबार किसी से छिपा नहीं है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं। एक ओर जहां नदियों का अस्तित्व खतरे में है, वहीं दूसरी ओर अवैध कमाई के लालच में प्रशासन इस पूरी सच्चाई से मुंह मोड़े हुए है।

अगर जल्द ही इस पर रोक नहीं लगाई गई, तो नदियों का विनाश, जल संकट और सड़क हादसे आम बात हो जाएंगे। बड़ा सवाल यह है कि आखिर प्रशासन और खनिज विभाग कब अपनी कुम्भकर्णी नींद से जागेंगे? या फिर अवैध खनन माफियाओं की जेबें भरने में ही व्यस्त रहेंगे?

Newsroom
Author: Newsroom

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