अब्दुल मोबीन सिद्दीकी की रिपोर्ट
कहते हैं कि मां के चरणों में स्वर्ग बसता है, लेकिन कानपुर के चौबेपुर क्षेत्र में एक बेटे ने अपनी ही मां के साथ जो अमानवीय व्यवहार किया, उसने मानवता को शर्मसार कर दिया। बेटे ने न केवल अपनी मां को अपशब्द कहे, बल्कि उसे उसके ही घर से बाहर निकाल दिया और खुद कब्जा जमा लिया। जब यह मामला कानपुर के जिलाधिकारी (DM) जितेंद्र प्रताप सिंह के संज्ञान में आया, तो उन्होंने आरोपी बेटे को जनता दरबार में तलब किया और उसकी हरकतों पर कड़ी नाराजगी जाहिर की।
पति की मौत के बाद मां को मिली यातना
कानपुर के चौबेपुर निवासी पीड़ित महिला के पति का निधन दो साल पहले हो गया था। पति के जाने के बाद उन्हें अपने बेटे कृष्ण मुरारी से सहारा मिलने की उम्मीद थी, लेकिन हुआ इसके बिल्कुल विपरीत। महिला का कहना है कि कृष्ण मुरारी शराब का आदी है और उसकी संगति भी अच्छी नहीं है। वह आए दिन अपनी पत्नी के साथ मिलकर मां को गालियां देता और प्रताड़ित करता था।
मां के प्रति उसके क्रूर व्यवहार की हद तब पार हो गई जब महिला वृंदावन दर्शन के लिए गई हुई थी। उसी दौरान बेटे ने घर का ताला बदलकर उस पर कब्जा कर लिया, जिससे मां के लिए घर लौटना नामुमकिन हो गया। महिला का कहना है कि बेटा न केवल उसे गालियां देता था, बल्कि उसके दामादों को जान से मारने की धमकी भी देता था।
मां की फरियाद पर हरकत में आए डीएम
अपने ही घर से बेदखल कर दी गई इस वृद्ध महिला ने न्याय की आस में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी को इस मामले में हस्तक्षेप करने का निर्देश दिया, जिसके बाद महिला डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह के जनता दरबार में पेश हुई।
महिला ने जब डीएम के सामने अपनी पीड़ा बयान की, तो उन्होंने तुरंत उसके बेटे कृष्ण मुरारी को भी बुलवा लिया। महिला ने डीएम से कहा कि बेटा उसे कैसे-कैसे गंदे शब्द कहता है, इसका प्रमाण भी उनके पास मौजूद है। इसके बाद महिला ने अपने बेटे की गालियों वाली कॉल रिकॉर्डिंग डीएम के सामने पेश कर दी।
रिकॉर्डिंग सुनकर भड़के डीएम, आरोपी बेटे को लगाई फटकार
जब डीएम ने कॉल रिकॉर्डिंग सुनी, तो वे खुद को गुस्सा रोक नहीं सके। उन्होंने बेटे को फटकार लगाते हुए कहा, “तुम बेटे नहीं, हैवान हो! इस धरती पर कलंक हो।” उन्होंने उसकी मां की हालत देखते हुए तत्काल आदेश जारी किए कि महिला के घर का ताला आज ही खोला जाए और उसे उसका मकान सौंपा जाए।
महिला को मिला न्याय, बेटा हिरासत में
डीएम ने स्पष्ट निर्देश दिया कि जब तक महिला को उसका घर वापस नहीं मिलता, तब तक आरोपी बेटे को जाने नहीं दिया जाएगा। अधिकारियों को तुरंत कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया गया और महिला को उसके घर का अधिकार दिलवाया गया।
यह घटना समाज के उस भयावह रूप को उजागर करती है, जहां कुछ लोग स्वार्थ और क्रूरता में इतने अंधे हो जाते हैं कि अपनी ही मां को अपमानित करने से भी पीछे नहीं हटते। लेकिन प्रशासन की तत्परता और न्यायप्रियता ने यह सुनिश्चित किया कि इस पीड़ित मां को उसका अधिकार मिले और बेटे को उसके कर्मों की सजा।
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Author: जगदंबा उपाध्याय, मुख्य व्यवसाय प्रभारी
जिद है दुनिया जीतने की