कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार कानून-व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त रखने का दावा करती रही है, लेकिन हाल के तीन महीनों में हुईं तीन जघन्य हत्याओं ने इन दावों की पोल खोल दी है। वाराणसी, लखनऊ और मेरठ में एक ही परिवार के सदस्यों की सामूहिक हत्या की घटनाओं ने प्रदेश की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। तीनों मामलों में पुलिस आरोपियों को पकड़ने में नाकाम साबित हुई है, भले ही इनाम की घोषणाएं और विशेष जांच दल बनाए गए हों।
वाराणसी: पारिवारिक विवाद ने पांच लोगों की जान ली
5 नवंबर को वाराणसी के भदैनी इलाके में शराब कारोबारी राजेंद्र गुप्ता की पत्नी नीतू गुप्ता, उनके दो बेटे नवनेंद्र और सुबेंद्र तथा बेटी गौरांगी की गोली मारकर हत्या कर दी गई। पुलिस का शक पहले राजेंद्र गुप्ता पर गया, लेकिन कुछ ही घंटों में उनकी भी लाश बरामद हुई। जांच में पता चला कि इस हत्याकांड के पीछे उनके भतीजे विशाल उर्फ विक्की का हाथ हो सकता है।
विशाल के बदले की आग की जड़ें 27 साल पुरानी थीं। 1997 में राजेंद्र गुप्ता ने अपने भाई कृष्ण गुप्ता और उनकी पत्नी की हत्या कर दी थी। इसके बाद 2003 में जेल से बाहर आने पर उन्होंने अपने पिता लक्ष्मी गुप्ता और उनके सुरक्षा गार्ड को भी मरवा दिया। लक्ष्मी गुप्ता के संरक्षण में रह रहे विशाल ने बदला लेने की योजना बनाई। घटना के बाद से विशाल फरार है और पुलिस ने उस पर एक लाख रुपये का इनाम रखा है, लेकिन वह अभी तक पुलिस की पकड़ से बाहर है।
लखनऊ: बेटे ने मां और बहनों की निर्मम हत्या की
1 जनवरी को लखनऊ के नाका इलाके में एक होटल से पुलिस ने पांच शव बरामद किए। अरशद नाम के युवक ने अपनी मां अस्मा और चार बहनों—अल्शिया, रहमीन, अक्सा और आलिया की हत्या की थी। कुछ की गला दबाकर, तो कुछ की नसें काटकर हत्या की गई। अरशद ने खुद पुलिस को फोन कर वारदात की जानकारी दी।
पुलिस पूछताछ में अरशद ने कई बार बयान बदले और हत्या की वजह साफ नहीं की। घटना के बाद से उसका पिता बदर फरार है। बदर पर 25,000 रुपये का इनाम रखा गया है, लेकिन पुलिस को उसका कोई सुराग नहीं मिला है।
मेरठ: सौतेले भाई ने पूरे परिवार का गला घोंटा
9 जनवरी को मेरठ के सुहेल गार्डन में राजमिस्त्री मोइन, उसकी पत्नी आसमां और तीन बेटियों—अक्सा, अजीजा और जिया की गला दबाकर हत्या कर दी गई। जांच में पता चला कि मोइन के सौतेले भाई नईम बाबा ने अपने दत्तक बेटे सलमान के साथ मिलकर इस घटना को अंजाम दिया। नईम पर 50,000 रुपये का इनाम घोषित किया गया है, लेकिन वह भी पुलिस की गिरफ्त से दूर है।
नईम का आपराधिक इतिहास भी लंबा है। 2005 में उसने मुंबई में दोहरे हत्याकांड को अंजाम दिया था। इसके बाद वह नासिक भाग गया और मेरठ में रहने लगा। पुलिस अभी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि वह कितने समय से यहां छिपा हुआ था।
कानून-व्यवस्था पर सवाल
वाराणसी, लखनऊ और मेरठ की इन घटनाओं ने उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्यशैली और योगी सरकार के कानून-व्यवस्था सुधार के दावों को कठघरे में खड़ा कर दिया है। भले ही हर मामले में पुलिस ने इनाम की घोषणाएं कीं और जांच के लिए टीमें गठित कीं, लेकिन आरोपी अभी भी पुलिस की पहुंच से दूर हैं।
पुलिस और प्रशासन की इन विफलताओं ने प्रदेश के नागरिकों में असुरक्षा की भावना बढ़ा दी है। इन जघन्य हत्याकांडों के साथ-साथ आरोपियों को पकड़ने में हो रही देरी ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या कानून का डर अपराधियों के दिल से पूरी तरह खत्म हो गया है?