कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
कानपुर में सरकारी और खाली जमीनों पर कब्जे के मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। चाहे वह 1000 करोड़ रुपए की नजूल की भूमि हो या 500 करोड़ रुपए की अन्य संपत्तियां, भू-माफियाओं की नजर ऐसी जमीनों पर गड़ी हुई है। शहर के एपी फेनी कंपाउंड क्षेत्र में भी पुलिस और प्रशासन ऐसे मामलों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रहा है।
इन्हीं घटनाओं के बीच एक नया मामला सामने आया है, जिसमें भू-माफियाओं की नजर इस बार ताजमहल फिल्म निर्माता इरशाद आलम की चमड़ा फैक्ट्री पर पड़ी है। आरोप है कि करीब डेढ़ दर्जन माफियाओं ने मिलकर उनकी फैक्ट्री पर कब्जा करने की कोशिश की।
फिल्म निर्माता इरशाद आलम और फैक्ट्री विवाद
इरशाद आलम, जो अपने समय में ताजमहल जैसी चर्चित फिल्मों के निर्माण के लिए जाने जाते हैं, अब फिल्म इंडस्ट्री से दूरी बनाकर लेदर के कारोबार में सक्रिय हो गए हैं। उन्होंने कानपुर के जाजमऊ क्षेत्र में चमड़ा फैक्ट्री स्थापित की।
इरशाद का आरोप है कि भू-माफियाओं ने उनकी फैक्ट्री के दस्तावेज चुराने के लिए उनके ही एक रिश्तेदार को अपने साथ मिला लिया। इन दस्तावेजों की मदद से नकली कागजात तैयार कर, माफियाओं ने फैक्ट्री पर कब्जा करने की कोशिश की। मामले की गंभीरता तब बढ़ी जब इरशाद ने बताया कि तकरीबन तीन दर्जन अपराधियों ने फैक्ट्री का दरवाजा तोड़कर जबरन घुसपैठ की और उनकी संपत्ति पर कब्जा जमा लिया।
पुलिस जांच और कार्रवाई
इस घटना की जानकारी मिलने के बाद, इरशाद आलम ने कानपुर के पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार से मुलाकात की और पूरे मामले की विस्तार से जानकारी दी। पुलिस कमिश्नर ने घटना को गंभीरता से लेते हुए तत्काल जांच के आदेश दिए।
पुलिस ने इस मामले में अब तक 12 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है और बाकी डेढ़ दर्जन लोगों की तलाश जारी है। पुलिस ने माफियाओं द्वारा तैयार किए गए फर्जी दस्तावेजों की भी जांच शुरू कर दी है।
भूमाफियाओं पर सख्त कार्रवाई की मांग
यह घटना कानपुर में बढ़ती माफियागीरी का एक और उदाहरण है, जहां भू-माफिया बेखौफ होकर संपत्तियों पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, पुलिस की सख्त कार्रवाई से यह उम्मीद की जा रही है कि ऐसे अपराधियों पर अंकुश लगेगा।
पुलिस का कहना है कि इस मामले में दोषियों को सख्त सजा दिलाने के लिए पूरी पारदर्शिता के साथ जांच की जाएगी। इरशाद आलम और उनके परिवार ने प्रशासन से सुरक्षा की मांग की है, ताकि भविष्य में ऐसे घटनाओं को रोका जा सके।
यह घटना न केवल कानपुर में भू-माफियाओं की बढ़ती ताकत को दर्शाती है, बल्कि प्रशासन की चुनौतियों को भी उजागर करती है। ऐसे मामलों में पुलिस और प्रशासन की तत्परता ही शहर में कानून व्यवस्था बनाए रखने की कुंजी है।