अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
वाराणसी। एप्पल (APPLE) के सह-संस्थापक दिवंगत स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल, जिन्होंने अब भारतीय परंपरा को अपनाते हुए अपना नाम ‘कमला’ रखा है, ने रविवार को वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन किए। वह प्रयागराज में आयोजित होने वाले महाकुंभ में शामिल होने के लिए यात्रा कर रही हैं। उनके साथ निरंजनी अखाड़े के स्वामी कैलाशानंद गिरि महाराज भी उपस्थित रहे।
लॉरेन, जिन्होंने भारतीय परिधान (गुलाबी सूट और सफेद दुपट्टा) पहन रखा था, ने मंदिर की परंपराओं का सम्मान करते हुए गर्भगृह के बाहर से भगवान शिव की पूजा-अर्चना की। स्वामी कैलाशानंद गिरि महाराज ने बताया कि काशी विश्वनाथ मंदिर में गैर-हिंदुओं को शिवलिंग छूने की अनुमति नहीं है, इसलिए लॉरेन ने बाहर से ही भगवान शिव के दर्शन किए और प्रार्थना की।
महाकुंभ के लिए विशेष प्रार्थना
स्वामी कैलाशानंद गिरि महाराज ने बताया कि लॉरेन ने महाकुंभ के सफल और बिना किसी बाधा के संपन्न होने की कामना की। उन्होंने कहा, “हम महादेव से प्रार्थना करने आए हैं कि महाकुंभ निर्विघ्न संपन्न हो। साथ ही, मैंने महादेव को कुंभ में आमंत्रित किया।”
स्वामी कैलाशानंद ने यह भी बताया कि उनके साथ अमेरिका से आए उनके शिष्य महर्षि व्यासानंद, जो निरंजनी अखाड़े में महामंडलेश्वर के रूप में दीक्षित होने जा रहे हैं, भी इस पवित्र यात्रा का हिस्सा बने।
प्रयागराज कुंभ में होंगी शामिल
लॉरेन पॉवेल, जो अब ‘कमला’ के नाम से जानी जाएंगी, प्रयागराज के महाकुंभ में गंगा स्नान करने की योजना बना रही हैं। इस महाकुंभ मेले का आयोजन 13 जनवरी से शुरू होकर 26 फरवरी तक चलेगा। हर 12 साल में एक बार आयोजित होने वाले इस पवित्र मेले को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने व्यापक तैयारियां की हैं।
महाकुंभ मेले की भव्य तैयारियां
प्रयागराज कुंभ मेला, जिसे विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है, में इस बार 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है। मेले की सुरक्षा और प्रबंधन के लिए अत्याधुनिक तकनीक का सहारा लिया गया है। आयोजन स्थल पर हजारों एआई सक्षम सीसीटीवी कैमरे, अंडरवाटर ड्रोन और भक्तों की सुविधा के लिए आधुनिक व्यवस्थाएं की गई हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मेले को भव्य और सुरक्षित बनाने के लिए हर संभव प्रयास किया है। यह आयोजन भारतीय संस्कृति, परंपराओं और आस्था का प्रतीक है, जहां देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु और साधु-संत एकत्रित होते हैं।
लॉरेन पॉवेल का काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन और महाकुंभ में भाग लेना भारत की प्राचीन परंपराओं और संस्कृति के प्रति उनकी गहरी श्रद्धा को दर्शाता है। यह यात्रा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि भारतीय संस्कृति के वैश्विक प्रभाव का भी प्रमाण है।