कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
लखनऊ। 30 दिसंबर 2024 को लखनऊ के मदेयगंज इलाके में ऑटो चालक मोहम्मद रिजवान की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। यह मामला पुलिस के लिए एक ब्लाइंड मर्डर था क्योंकि मृतक की किसी से दुश्मनी नहीं थी। लेकिन घटना के 13 दिन बाद पुलिस ने हत्या का खुलासा कर दिया और इस सनसनीखेज वारदात में शामिल आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
घटना का विवरण
लखनऊ के भीकमपुर इलाके के रहने वाले 35 वर्षीय मोहम्मद रिजवान पुत्र रफीक अहमद ऑटो चलाते थे। 30 दिसंबर को वे मदेयगंज में सवारी लेकर पहुंचे थे। उसी दौरान अज्ञात बदमाशों ने उन्हें गोली मार दी। पुलिस ने तुरंत शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा और बाद में परिजनों को सौंप दिया।
हालांकि, वारदात के कई दिन बाद भी आरोपी पुलिस की पकड़ से बाहर थे। सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि रिजवान की किसी से दुश्मनी का कोई सुराग नहीं मिला। इसके बावजूद पुलिस ने हत्या की गुत्थी सुलझाने के लिए हरसंभव कोशिश की।
पुलिस की जांच और खुलासा
पुलिस ने इस ब्लाइंड मर्डर का खुलासा करने के लिए लोकल इंटेलिजेंस और सर्विलांस का सहारा लिया। लगभग 200 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली गईं। जांच के बाद पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया:
1. आफताब अहमद (37 वर्ष): पेशे से एडवोकेट, निवासी लालकोठी तेजीखेड़ा।
2. यासिर (35 वर्ष): निवासी लाल कुआं भेड़ीमंडी मजार वाली गली।
3. कृष्णकांत उर्फ साजन (36 वर्ष): निवासी भवानीगढ़, शिवगढ़, जनपद रायबरेली।
हत्या की साजिश
पूछताछ में सामने आया कि हत्या की साजिश आफताब अहमद ने रची थी। आफताब का अपनी पूर्व जूनियर एडवोकेट के साथ प्रेम संबंध था। लेकिन उसकी प्रेमिका की शादी दिल्ली में हो गई थी, जिससे वह उससे नहीं मिल पाता था। आफताब को लगा कि अगर उसकी प्रेमिका के पिता इरफान अली की हत्या हो जाए, तो उसकी प्रेमिका दिल्ली छोड़कर लखनऊ लौट आएगी, और उनका रिश्ता फिर से शुरू हो जाएगा।
आफताब ने इरफान अली की हत्या की योजना बनाई और इसके लिए यासिर और कृष्णकांत को शामिल किया। उसने यासिर से वादा किया कि वह उसे दो लाख रुपये और हथियार देगा।
गलत पहचान के कारण हुई रिजवान की हत्या
29 दिसंबर 2024 को यासिर और कृष्णकांत ने इरफान अली के घर की रेकी की। 30 दिसंबर की रात इरफान अली को मारने के इरादे से वे वहां पहुंचे। लेकिन गलती से उन्होंने ऑटो चालक मोहम्मद रिजवान को इरफान अली समझकर गोली मार दी।
हत्या के बाद आपसी विवाद
हत्या के बाद यासिर और कृष्णकांत ने आफताब से पैसे मांगे, लेकिन आफताब ने पैसे देने से इनकार कर दिया। इस कारण सुपारी देने वाले और हत्यारों के बीच विवाद हो गया।
पुलिस की कार्रवाई
सर्विलांस और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर पुलिस ने पहले शूटरों को पकड़ा और उनकी निशानदेही पर आफताब अहमद को गिरफ्तार किया। डीसीपी सेंट्रल रवीना त्यागी ने बताया कि मुख्य आरोपी आफताब की प्रेमिका की इस साजिश में कोई भूमिका थी या नहीं, इसकी भी जांच की जा रही है।
यह मामला न केवल एक जघन्य अपराध का खुलासा करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि व्यक्तिगत इच्छाएं और प्रेम संबंध कैसे भयावह रूप ले सकते हैं। पुलिस की सूझबूझ और मेहनत से यह ब्लाइंड मर्डर सुलझ पाया।