चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
गाजियाबाद पुलिस ने एक ऐसे युवक को गिरफ्तार किया है, जिसने फर्जीवाड़े के जरिए खुद को मानव अधिकार न्याय आयोग उत्तर प्रदेश का अध्यक्ष और नीति आयोग का सदस्य घोषित कर दिया था। इस युवक ने न केवल लोगों को भ्रमित किया, बल्कि सरकारी कार्यालयों में काम करवाने और अनुचित लाभ लेने के लिए अपने फर्जी पद का इस्तेमाल भी किया।
मजदूरी से फर्जी अध्यक्ष बनने का सफर
गिरफ्तार युवक अनस मलिक महज 10वीं पास है। वह पहले मजदूरी करता था और स्थानीय नेताओं के घर भी मजदूरी के लिए जाता था। नेताओं की सुरक्षा, पुलिस एस्कॉर्ट, और अन्य सरकारी सुविधाओं को देखकर उसके मन में भी ऐसी लाइफ जीने की इच्छा जागी। उसने इस सपने को पूरा करने के लिए एक खतरनाक योजना बनाई और धीरे-धीरे इसे अंजाम दिया।
कैसे रचा फर्जीवाड़ा?
अनस ने “मानव अधिकार न्याय आयोग उत्तर प्रदेश” के नाम से एक फर्जी संस्था बनाई। उसने इसके लिए लखनऊ के गोमती नगर स्थित एक पते को कार्यालय बताया और राष्ट्रीय प्रतीक अशोक की लाट का इस्तेमाल कर फर्जी लेटरहेड छपवाया। साथ ही, उसने एक गोल मोहर भी बनवाई और खुद को अध्यक्ष घोषित कर दिया।
ऐसे जमाया रौब
अनस ने फर्जी लैटरहेड पर अपने भ्रमण कार्यक्रम और अन्य काम के आदेश जारी करना शुरू कर दिया। इन आदेशों पर गोल मोहर लगाकर वह सरकारी कार्यालयों और आम लोगों के बीच रौब जमाने लगा। लैटरहेड पर उसने निजी सचिव, स्टाफ कार चालक और पीएसओ के नाम भी दर्ज कर रखे थे। अपने करीबी लोगों को सफेद कपड़े पहनाकर अर्दली का वेश धारण करवा देता था। यह सब देखकर लोग उस पर विश्वास करने लगे।
सरकारी कार्यालयों में फर्जीवाड़ा
अनस सरकारी कार्यालयों में जाकर खुद को मानव अधिकार न्याय आयोग का अध्यक्ष और नीति आयोग का सदस्य बताकर काम करवाने लगा। वह जिन लोगों का काम करवाता, उनसे बाद में अनुचित लाभ लेता।
लोगों को नौकरी का झांसा
कुछ समय पहले पुलिस विभाग में सिपाही पद की भर्ती निकली थी। अनस ने अपने आस-पास के लोगों से कहा कि वह ऊंचे पद पर है और उनकी नौकरी लगवा सकता है। उसने कई लोगों से उनके प्रवेश पत्र और अन्य दस्तावेज ले लिए। यदि किसी की नौकरी लग जाती तो वह उसे अपनी सिफारिश का परिणाम बताकर पैसे वसूलता।
गिरफ्तारी और जांच
गाजियाबाद पुलिस ने अनस को गिरफ्तार कर लिया है और उससे पूछताछ कर रही है। क्राइम ब्रांच यह जांच कर रही है कि इस फर्जीवाड़े में अनस के साथ और कौन-कौन लोग शामिल हैं। पुलिस का कहना है कि इस मामले में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं।
यह घटना इस बात का उदाहरण है कि कैसे एक साधारण व्यक्ति फर्जीवाड़े के जरिए खुद को उच्च पदों पर आसीन दिखाकर लोगों को ठग सकता है। हालांकि, गाजियाबाद पुलिस ने समय रहते इस जालसाजी का पर्दाफाश कर दिया।
Author: samachar
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