सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट
जैसे-जैसे साल 2024 अपनी अंतिम सांसें ले रहा है, देश के हर कोने से साल के आखिरी सूर्यास्त की तस्वीरें और अनुभव साझा किए जा रहे हैं। यह शाम न केवल एक साल के अंत का प्रतीक है, बल्कि बीते पलों की यादों और भविष्य की उम्मीदों का गवाह भी है।
देश के अलग-अलग राज्यों में इस शाम का जश्न अपने-अपने अनूठे अंदाज में शुरू हुआ। हिमाचल प्रदेश के बर्फ से ढके पहाड़ों पर डूबते सूरज की किरणें बर्फ की चादर पर सुनहरी आभा बिखेर रही थीं। वहीं, राजस्थान के थार मरुस्थल में डूबते सूरज ने रेत के टीले को मानो स्वर्णिम गहनों से सजाया।
दक्षिण भारत में, केरल के समुद्र तटों पर लोग सूर्यास्त का स्वागत करते हुए शंखध्वनि और दीपमालाओं के साथ साल को विदाई दे रहे हैं। गोवा के तटों पर पर्यटक और स्थानीय लोग एक साथ मिलकर इस शाम को संगीत और उत्सव के रंग में रंग रहे हैं।
मध्य प्रदेश के खजुराहो और उत्तर प्रदेश के वाराणसी जैसे ऐतिहासिक स्थलों पर यह शाम धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठानों के साथ शुरू हुई। गंगा किनारे की आरती में डूबते सूरज का प्रतिबिंब मानो जीवन के चक्र का संदेश दे रहा हो।
पूर्वोत्तर के अरुणाचल प्रदेश में, जिसे ‘सूर्य का पहला घर’ कहा जाता है, वहां के लोगों ने इस आखिरी सूर्यास्त को विशेष प्रार्थनाओं और लोक नृत्यों के साथ यादगार बना दिया।
यह आखिरी सूर्यास्त एक संदेश दे रहा है कि हर अंत, एक नए आरंभ की ओर संकेत करता है। साल 2024 की यादें चाहे जैसी भी रही हों, लेकिन यह शाम हर व्यक्ति के दिल में एक नई उम्मीद, नई योजना, और नए संकल्प का बीज बो रही है।
देशभर से आई इन तस्वीरों और अनुभवों ने यह साबित कर दिया है कि समय चाहे जितना भी बीत जाए, सूर्यास्त के साथ एक नई शुरुआत हमेशा हमारा इंतजार करती है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."
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समाचार दर्पण 24 के संपूर्ण परिवार का हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई,2025