कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के संभल जिले में स्थित 300 साल पुराना कार्तिक शंकर शिव मंदिर आखिरकार 46 साल के लंबे अंतराल के बाद खुल गया। प्रशासन की पहल पर इस मंदिर को पुनः सार्वजनिक रूप से दर्शन के लिए उपलब्ध कराया गया है।
मंदिर के खुलने की पृष्ठभूमि
हाल ही में प्रशासन को इस इलाके में अतिक्रमण की शिकायतें मिली थीं। इसी की जांच करने के लिए जब प्रशासनिक टीम खग्गू सराय इलाके में पहुंची, तो उन्हें यह प्राचीन मंदिर मिला। मंदिर की स्थिति काफी जर्जर थी, चारों ओर अतिक्रमण हो चुका था, और इस पर ताला लगा हुआ था। पुलिसकर्मियों और प्रशासनिक अधिकारियों ने मंदिर की सफाई कराई, और इसके अंदर शिवलिंग के साथ-साथ हनुमान जी की मूर्ति भी मिली। इसके अतिरिक्त, मंदिर परिसर में स्थित एक पुराने कुएं की खुदाई में तीन अन्य प्राचीन मूर्तियां भी प्राप्त हुईं।
300 साल पुराना इतिहास
82 वर्षीय विष्णु शरण रस्तोगी, जो इस इलाके के पुराने निवासी हैं, बताते हैं कि यह कार्तिक शंकर मंदिर करीब 300 साल पहले उनके पूर्वजों द्वारा बनवाया गया था। उस समय यह इलाका हिंदू बहुल था। मंदिर के पास एक विशाल पीपल का पेड़ और एक कुआं हुआ करता था, जहां लोग सुबह-शाम कीर्तन और पूजा-अर्चना के लिए एकत्र होते थे।
1978 के दंगों के बाद इस इलाके का सामाजिक ताना-बाना बदल गया। विष्णु शरण रस्तोगी बताते हैं कि दंगे के दौरान हिंदू परिवारों को डर के कारण इलाका छोड़ना पड़ा। उन्होंने कहा, “हमारे पास उस समय करीब 40 से 42 हिंदू परिवार थे, लेकिन दंगों के बाद चारों ओर मुस्लिम आबादी होने के कारण डर का माहौल बन गया, और धीरे-धीरे सभी हिंदू परिवार यहां से पलायन कर गए।”
भाईचारे का दौर और फिर पलायन
रस्तोगी जी के अनुसार, पहले हिंदू और मुस्लिम परिवारों के बीच सौहार्द और भाईचारे का माहौल था। मंदिर में पूजा-पाठ और त्योहारों की परंपराएं पूरे धूमधाम से मनाई जाती थीं। लेकिन दंगों के बाद स्थिति बदल गई। उन्होंने कहा, “2005 में हमारे कुनबे का आखिरी मकान भी बिक गया।”
मंदिर पर अतिक्रमण की स्थिति
विष्णु शरण रस्तोगी ने यह भी बताया कि मंदिर के चारों ओर चार फीट का परिक्रमा मार्ग था, लेकिन धीरे-धीरे तीन तरफ से अतिक्रमण कर लिया गया। लोगों ने मंदिर के शिखर पर अपने छज्जे निकाल लिए और कुएं को बंद करके उस पर गाड़ी खड़ी करने के लिए रैंप बना दिया गया।
इस मंदिर में अंतिम बार पूजा 46 साल पहले हुई थी। उन्होंने 40 साल पहले मंदिर में एक पुजारी की व्यवस्था की थी, लेकिन अतिक्रमण और माहौल के कारण पुजारी वहां टिक नहीं पाए।
प्रशासन की पहल से उम्मीद जगी
अब प्रशासन ने इस प्राचीन मंदिर को खोलकर इसकी पुरानी गरिमा लौटाने की पहल की है। मंदिर की साफ-सफाई और कुएं की खुदाई के बाद, यहां की मूर्तियों और मंदिर की संरचना को संरक्षित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि प्रशासन की इस कार्रवाई से मंदिर में फिर से धार्मिक गतिविधियां शुरू होंगी और इसके ऐतिहासिक महत्व को संरक्षित किया जा सकेगा।
संभल के इस कार्तिक शंकर मंदिर की कहानी न केवल धार्मिक आस्था की गवाही देती है, बल्कि यह इतिहास के उन पन्नों को भी खोलती है, जहां सामाजिक ताने-बाने में बदलाव और विस्थापन की पीड़ा दर्ज है।