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19 December 2024 4:04 am

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बरेली ‘नाथ नगरी’ या ‘आला हजरत नगर’? त्रिशूल लगाने के बाद अब ऐसे हैं हालात

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कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश का संभल इन दिनों लगातार चर्चा में है। यहां 46 साल बाद एक ऐतिहासिक शिव मंदिर के ताले खोले गए, जिसके बाद विधिविधान से पूजा-अर्चना की गई। मंदिर परिसर “हर-हर महादेव” के नारों से गूंज उठा। प्रशासन ने इस दौरान शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए।

बरेली में धार्मिक प्रतीकों पर विवाद

इसी बीच बरेली में धार्मिक चिन्हों को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। शहर में नाथ नगरी मंदिर कॉरिडोर परियोजना के अंतर्गत बिजली के खंभों पर त्रिशूल और “ॐ” के निशान लगाए गए हैं। इस कदम का कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं ने विरोध किया है।

इस मुद्दे पर बरेली के मौलाना शाहबुद्दीन ने कड़ी आपत्ति जताई और चेतावनी दी कि अगर त्रिशूल जैसे धार्मिक चिन्ह नहीं हटाए गए तो वे इस्लामिक झंडे लगाने के लिए मजबूर हो जाएंगे। मौलाना ने कहा कि बरेली को “नाथ नगरी” नहीं, बल्कि “आला हजरत की नगरी” कहा जाना चाहिए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि त्रिशूल लगाने का मकसद सांप्रदायिक तनाव भड़काना है और नाथ कॉरिडोर के समान “आला हजरत कॉरिडोर” बनाने की मांग उठाई।

मौलाना शाहबुद्दीन के बयान

1. बरेली “त्रिशूल नगरी” के नाम से नहीं जानी जाती है।

2. धार्मिक चिन्ह लगाकर सांप्रदायिक माहौल खराब करने की कोशिश की जा रही है।

3. त्रिशूल नहीं हटे तो इस्लामिक झंडे लगाए जाएंगे।

नाथ कॉरिडोर परियोजना का विवरण

योगी आदित्यनाथ की सरकार ने नाथ नगरी मंदिर कॉरिडोर के विकास के लिए 250 करोड़ रुपये की परियोजना शुरू की है। इस परियोजना के तहत सात शिव मंदिरों को जोड़ने वाले रास्तों का विस्तार किया जा रहा है। कॉरिडोर के अंतर्गत 32.5 किलोमीटर लंबा टूरिज्म सर्किट बनाया जा रहा है।

इस सर्किट में विशेष सुविधाएं और धार्मिक प्रतीक लगाए जाएंगे, जैसे:

1. बिजली के खंभों पर शिव के प्रतीक: त्रिशूल, डमरू, त्रिपुण्ड और नंदी।

2. इंद्रधनुषी रंग के रास्ते: मंदिरों को जोड़ने वाले मार्गों को विशेष रंगों से सजाया जा रहा है।

3. रोशनी व्यवस्था: सड़कों पर शिव के प्रतीकों के साथ स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था की जा रही है।

योगी आदित्यनाथ का सख्त संदेश

संभल में शिव मंदिर के ताले खुलने और बरेली में धार्मिक चिन्हों पर विवाद के बीच, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट संदेश दिया कि प्रदेश की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत पर किसी प्रकार का दावा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने सवाल उठाया कि अचानक शिव मंदिर और मूर्ति के अस्तित्व पर आपत्ति क्यों की जा रही है?

उत्तर प्रदेश में धार्मिक स्थलों के विकास कार्यों को लेकर यह विवाद सांप्रदायिक तनाव की ओर संकेत करता है। जहां एक ओर सरकार अपनी सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी ओर कुछ समूह इसे भेदभावपूर्ण करार दे रहे हैं। ऐसे में प्रशासन की भूमिका और समाज के संयम की परीक्षा होने वाली है।

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