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20 December 2024 9:19 am

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जेल में सीखा जहरखुरानी का तरीका, बाहर आकर ऐसे करने लगा लूटपाट कि जानकर चौंक जाएंगे आप

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कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट

लखनऊ: मोहनलालगंज पुलिस ने ई-रिक्शा चालकों को निशाना बनाने वाले एक जहरखुरान गिरोह का पर्दाफाश करते हुए सरगना संगम और उसके दो साथियों, पंकज कश्यप और संदीप उर्फ भूरा को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह ई-रिक्शा और ऑटो बुक कर चालक को नशीली चाय पिलाकर लूटपाट करता था। पुलिस ने गिरोह के पास से तीन ई-रिक्शा, नकदी, मोबाइल फोन, आठ बैटरियां और नशीली गोलियां बरामद की हैं।

गिरोह का काम करने का तरीका

गिरोह के सदस्य ई-रिक्शा या ऑटो बुक करने के बाद चालक से दोस्ती करने की कोशिश करते थे। फिर रास्ते में चाय-नाश्ता करने के बहाने किसी होटल पर रुकते और चालक को चाय पिलाते थे। गिरोह के सदस्य पंकज कश्यप अपने बड़े-बड़े नाखूनों में डायजापाम नामक नशीला पाउडर भरकर लाता था। मौका मिलते ही वह बड़ी चालाकी से चाय में नशीला पाउडर मिला देता। चाय पीने के बाद कुछ ही देर में चालक अर्ध-मूर्छित हो जाता था। इसके बाद गिरोह के सदस्य उसे रास्ते में फेंककर ई-रिक्शा, नकदी और मोबाइल लूटकर फरार हो जाते थे।

गिरफ्तारी के बाद खुलासा

गिरफ्तार सरगना संगम गोसाईगंज के सरैया गांव का रहने वाला है, जबकि पंकज कश्यप मोहनलालगंज के खुजौली का और संदीप उर्फ भूरा हुलासखेड़ा का निवासी है। 

पुलिस उपायुक्त (दक्षिणी) केशव कुमार ने बताया कि इस गिरोह ने लखनऊ और बाराबंकी के ग्रामीण इलाकों में दर्जनों वारदातों को अंजाम दिया है। पुलिस ने इनसे लूटे गए तीन ई-रिक्शा, पांच हजार रुपये नकद, दो मोबाइल और नशीली गोलियों के 30 पत्ते बरामद किए हैं।

गिरोह की एक वारदात का विवरण

हाल ही में, 5 दिसंबर को गिरोह ने जबरौली गौमतखेड़ा के हंसराज नामक ई-रिक्शा चालक से लूटपाट की थी। गिरोह ने खुजौली जाने के लिए हंसराज का ई-रिक्शा 200 रुपये में बुक किया। खुजौली पहुंचकर उन्होंने चालक को करोरा जाने की बात कही। रास्ते में एक होटल पर चाय और पकौड़ी खिलवाने के बहाने रुक गए। पंकज ने अपने नाखूनों में छिपी डायजापाम की गोलियां चाय में मिला दीं। चाय पीने के बाद हंसराज अर्ध-मूर्छित हो गया, जिसके बाद तीनों ने उसका ई-रिक्शा, नकदी और मोबाइल लूट लिया।

जेल में सीखी जहरखुरानी की तकनीक

पुलिस के मुताबिक, संगम 2018 से चोरी के आरोप में जेल में बंद था। जेल में ही उसकी मुलाकात पंकज और संदीप से हुई। तीनों की दोस्ती उसी बैरक में बंद कुछ राजस्थानी और नट बिरादरी के कैदियों से हुई, जो जहरखुरानी में माहिर थे। संगम ने वहीं से जहरखुरानी का तरीका सीखा। जेल से पैरोल पर छूटने के बाद तीनों ने मिलकर लूटपाट की घटनाएं शुरू कर दीं।

गिरोह के खिलाफ कार्रवाई और जांच

पुलिस को गिरोह के बारे में सीसीटीवी फुटेज और अन्य साक्ष्यों के आधार पर जानकारी मिली। इसके बाद एसीपी रजनीश वर्मा की निगरानी में इंस्पेक्टर अमर सिंह के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई। जांच के दौरान पता चला कि पंकज और संदीप संगम की जमानत की तैयारी में थे। समय रहते गिरोह का भंडाफोड़ न होता तो यह गिरोह और भी सक्रिय हो जाता।

डायजापाम की उपलब्धता पर सवाल

डायजापाम एक नियंत्रित दवा है, जो डॉक्टर की सलाह के बिना मेडिकल स्टोर से नहीं मिलती। पुलिस गिरोह से यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि उन्हें ये गोलियां कैसे मिलीं। औषधि विभाग से भी इस संबंध में पत्राचार किया जा रहा है ताकि उन मेडिकल स्टोर संचालकों पर कार्रवाई की जा सके, जो गैरकानूनी तरीके से नशीली दवाएं बेचते हैं।

सख्त कार्रवाई की तैयारी

इस गिरोह की गिरफ्तारी के बाद पुलिस का मानना है कि ग्रामीण इलाकों में होने वाली लूटपाट की घटनाओं पर अंकुश लगेगा। पुलिस इस तरह के अपराधों में शामिल अन्य गिरोहों पर भी कार्रवाई की तैयारी कर रही है।

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