कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
बरेली: आयुष्मान योजना पर अभद्र टिप्पणी के बाद दीपमाला अस्पताल के डॉक्टर के खिलाफ जांच शुरू, अस्पताल के पैनल से हटाने की संस्तुति
बरेली में आयुष्मान भारत योजना को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। दीपमाला अस्पताल के डॉ. सोमेश मेहरोत्रा द्वारा योजना पर अभद्र टिप्पणी करने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए अस्पताल पर जांच शुरू कर दी है। शनिवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने अस्पताल पहुंचकर नोटिस जारी किया और उनके अस्पताल को आयुष्मान योजना के पैनल से हटाने की सिफारिश की है।
क्या है पूरा मामला?
शाहजहांपुर के मिर्जापुर निवासी मोहन गोविंद गुप्ता ने अपनी मां विजय लक्ष्मी को सात नवंबर को बरेली स्थित दीपमाला अस्पताल में भर्ती कराया था। अस्पताल प्रबंधन ने पहले आयुष्मान कार्ड से उपचार की सहमति दी थी, लेकिन इसके बावजूद परिवार से तुरंत दवाइयों और इंजेक्शनों के लिए मेडिकल स्टोर से खरीदारी करवाई गई। एक दिन के भीतर ही मरीज के बेटे मोहन को एक लाख रुपये से अधिक खर्च करने पड़े।
जब मोहन ने डॉक्टर सोमेश मेहरोत्रा से आयुष्मान कार्ड के तहत इलाज कराने की गुहार लगाई, तो डॉक्टर ने गुस्से में प्रतिक्रिया दी।
बताया जा रहा है कि डॉक्टर ने कहा, “आयुष्मान कार्ड से फ्री में इलाज नहीं होगा, यह धोखा है।” इस दौरान तीमारदार ने डॉक्टर की बातचीत का वीडियो बना लिया, जिसमें डॉक्टर ने तीखे शब्दों में कहा कि अगर आप रसीद मांगते हैं तो बाहर जाकर शिकायत कर सकते हैं।
मरीज को बाहर निकालने का आरोप, दिल्ली ले जाते वक्त मौत
आरोप है कि डॉक्टर ने ICU में भर्ती ब्रेन स्ट्रोक की मरीज विजय लक्ष्मी और उनके बेटे से अभद्र व्यवहार किया। उन्हें धक्के देकर अस्पताल से बाहर निकालने के लिए कहा। डॉक्टर ने तंज कसते हुए कहा कि सरकारी अस्पताल क्यों नहीं गए, जहां नेता और डॉक्टर मिलकर बजट खा जाते हैं, और मरीजों को केवल चूरन-चटनी मिलती है। इस दुर्व्यवहार के बाद मरीज को अस्पताल से निकाल दिया गया। उन्हें दिल्ली ले जाते समय उनकी मौत हो गई।
स्वास्थ्य विभाग की त्वरित कार्रवाई
घटना के बाद बरेली के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. विश्राम सिंह ने बताया कि दीपमाला अस्पताल का नाम आयुष्मान योजना के पैनल से हटाने की संस्तुति करते हुए शासन को रिपोर्ट भेज दी गई है। एसीएमओ डॉ. राकेश कुमार और डॉ. लईक अहमद अंसारी को इस मामले की जांच सौंपी गई है। तीमारदार के बयान के आधार पर विस्तृत जांच जारी है।
आयुष्मान योजना की व्यवहारिक समस्याएं: चिकित्सकों की बैठक
इस पूरे विवाद के बीच, आयुष्मान योजना में लंबित भुगतानों को लेकर चिकित्सक समुदाय में भी असंतोष बढ़ रहा है। शनिवार रात आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) भवन में आयोजित बैठक में जिले के चिकित्सकों ने आयुष्मान कार्डधारक मरीजों के उपचार और भुगतान से संबंधित कठिनाइयों को उठाया। नोडल अधिकारी एसीएमओ डॉ. राकेश कुमार ने उनकी समस्याओं को शासन तक पहुंचाने का आश्वासन दिया।
आईएमए के चिकित्सकों ने शिकायत की कि आयुष्मान योजना के तहत मरीजों का पूरा उपचार करने के बावजूद, उन्हें पिछले चार महीनों से समय पर भुगतान नहीं मिल रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि यूपी एमसीआई में पंजीकरण के अभाव में उनके द्वारा किए गए उपचार के भुगतान को निरस्त कर दिया जाता है।
स्थानीय नहीं, बल्कि राज्य स्तरीय समस्या
एसीएमओ डॉ. राकेश कुमार ने बताया कि जिला स्तर पर शासन द्वारा जारी गाइडलाइन्स का पालन किया जा रहा है, लेकिन यह समस्या स्थानीय नहीं, बल्कि राज्य स्तर की है। आईएमए की बैठक में अध्यक्ष डॉ. आरके सिंह, डॉ. रतन पाल सिंह समेत कई चिकित्सक मौजूद रहे। उन्होंने आशा जताई कि सरकार इस मुद्दे पर ध्यान देगी और जल्द ही लंबित भुगतानों का समाधान निकालेगी।
आयुष्मान योजना, जो गरीबों के लिए मुफ्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने का वादा करती है, इस घटना के बाद सवालों के घेरे में है। एक ओर जहां योजना के क्रियान्वयन में दिक्कतें सामने आ रही हैं, वहीं डॉक्टर और अस्पताल प्रबंधन का रवैया भी इस पर सवाल उठाता है। सरकार को इस मामले में त्वरित और सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि गरीब मरीजों को सही समय पर उचित इलाज मिल सके।