ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के संभल जिले में 10 अक्टूबर से जिला प्रशासन द्वारा बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत बेशकीमती इमारतों से लेकर छोटे-बड़े सभी अवैध निर्माणों को ध्वस्त किया जा रहा है। खास बात यह है कि इस अभियान में कोई भी रियायत नहीं बरती जा रही है, चाहे वह सरकारी अधिकारी हों, बड़े कारोबारी हों, या फिर आम जनता।
राज्यमंत्री गुलाब देवी ने खुद ढहाई पैतृक दुकानें
इस अभियान का एक अनोखा और मार्मिक दृश्य चन्दौसी में देखने को मिला, जब प्रदेश की शिक्षा राज्यमंत्री गुलाब देवी ने अतिक्रमण के तहत आने वाली अपनी ही पैतृक दुकानों पर हथौड़ा चलाया। जिला प्रशासन के आला अधिकारी मौके पर मौजूद थे और डीएम राजेंद्र पेंसिया के अनुरोध पर गुलाब देवी ने यह कदम उठाया।
पिता की यादों से जुड़ी थी दुकान
इस दौरान गुलाब देवी ने कहा कि यह उनके लिए अत्यंत पीड़ादायक क्षण था। उन्होंने बताया कि ये दुकानें उनके स्वर्गीय पिता की यादों से जुड़ी हुई थीं। गुलाब देवी के पिता ने इन्हीं दुकानों में कपड़ों पर इस्त्री का काम कर अपने परिवार का पालन-पोषण किया था। इस दुकान को ढहाते समय शिक्षा मंत्री भावुक हो गईं, लेकिन उन्होंने प्रशासनिक नियमों का पालन करते हुए यह कठिन कदम उठाया।
अतिक्रमण पर जीरो टॉलरेंस नीति
संभल जिले में चलाए जा रहे इस अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत पिछले कई दिनों से चन्दौसी में बुलडोजर अभियान तेज कर दिया गया है। प्रशासन का कहना है कि अतिक्रमण के खिलाफ यह कार्रवाई किसी भी राजनीतिक या सामाजिक दबाव के बगैर की जा रही है। सड़क, बाजार, सरकारी जमीन और सार्वजनिक स्थानों पर अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ प्रशासन सख्त कदम उठा रहा है।
जनता को दिया संदेश
गुलाब देवी के इस कदम ने यह संदेश दिया है कि कानून सबके लिए बराबर है, चाहे वह किसी भी पद पर हो। शिक्षा मंत्री ने यह स्पष्ट किया कि नियमों का पालन हर नागरिक का कर्तव्य है और सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
इस अभियान ने संभल और चन्दौसी में चर्चा का विषय बना दिया है और लोग प्रशासन की इस निष्पक्ष कार्रवाई की सराहना कर रहे हैं। वहीं, गुलाब देवी द्वारा अपनी ही दुकानों को तोड़ने का फैसला लोगों के लिए एक मिसाल बन गया है, जिससे साफ संकेत मिलता है कि कानून से ऊपर कोई नहीं है।
इस पूरे प्रकरण ने अतिक्रमण के खिलाफ प्रशासन की दृढ़ इच्छाशक्ति को दर्शाया है और उम्मीद की जा रही है कि इस अभियान से भविष्य में अतिक्रमणकारियों को सबक मिलेगा।