सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट
इंडियन आइडल 15 का मंच हमेशा से ही नए टैलेंट्स को पहचान दिलाने का एक बेहतरीन प्लेटफॉर्म रहा है। हाल ही में बिहार की राधा श्रीवास्तव ने अपने शानदार परफॉर्मेंस से शो के तीनों जजों का दिल जीत लिया। उनकी गायकी और मंच परफॉर्मेंस को देखकर जज इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने जमकर तारीफें कीं। राधा की गायकी का यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया और हर कोई उनकी प्रतिभा की सराहना कर रहा था।
सोशल मीडिया पर विवाद: बालेश्वर यादव का स्टाइल कॉपी करने का आरोप
हालांकि, राधा श्रीवास्तव की परफॉर्मेंस को लेकर विवाद तब खड़ा हुआ जब सोशल मीडिया पर यूजर्स ने उन पर भोजपुरी के मशहूर लोकगायक बालेश्वर यादव की स्टाइल कॉपी करने का आरोप लगाया। यूजर्स का कहना था कि राधा ने बालेश्वर यादव की ट्रेडमार्क गायन शैली “रई.. रई.. रई..” को बिना किसी क्रेडिट के इंडियन आइडल के मंच पर प्रस्तुत कर दिया। इस वजह से उन्हें सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल किया गया।
सोशल मीडिया यूजर्स की प्रतिक्रियाएं
एक यूजर ने लिखा, “इस महिला गायक ने भोजपुरी सुपरस्टार बालेश्वर यादव का ट्रेडमार्क स्टाइल चुराया और उसे अपना बताकर मंच पर पेश कर दिया। यह चीटिंग है, चीटिंग करके आगे बढ़ने का रोग पुराना है।” वहीं, दूसरे यूजर ने कहा, “राधा श्रीवास्तव ने इंडियन आइडल के मंच पर बाबा बालेश्वर के ट्रेडमार्क गायन की नकल की। न कोई क्रेडिट दिया और न ही उनका नाम लिया। क्या जज बने बैठे हैं जिनको इस क्षेत्र की कोई समझ ही नहीं है?”
कौन थे बालेश्वर यादव?
बालेश्वर यादव का नाम भोजपुरी लोकगीतों के क्षेत्र में एक बड़ा नाम है। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के बदनपुर गांव में हुआ था, जो घाघरा नदी के तट पर स्थित है। बालेश्वर यादव को उनके बिरहा गायन के लिए विशेष रूप से जाना जाता था। बिरहा, जोकि एक पारंपरिक लोकगीत शैली है, के माध्यम से उन्होंने सामाजिक मुद्दों और मानवीय भावनाओं को प्रस्तुत किया।
बालेश्वर का गायन करियर बचपन से ही शुरू हो गया था और उन्होंने अपनी पहचान बनाने के लिए कड़ी मेहनत की। उनके गाए हुए कई गाने आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं। उनके लोकप्रिय गानों में “ससुरा में जइबू,” “सैया साजन,” “दुश्मन मिले सबेरे लेकिन मतलबी यार ना मिले,” और “पान खा ले मुन्नी साढ़े 3 बजे” जैसे गाने शामिल हैं।
बालेश्वर यादव के गानों की लोकप्रियता और बॉलीवुड कनेक्शन
बालेश्वर यादव को भोजपुरी संगीत का पहला सुपरस्टार माना जाता है। उनके गानों ने इतनी प्रसिद्धि पाई कि बॉलीवुड ने भी उनके गानों से प्रेरणा ली। खासकर अमिताभ बच्चन की फिल्म के गाने “चली आना तू पान की दुकान पर” को बालेश्वर के लोकप्रिय गाने “पान खा ले मुन्नी साढ़े 3 बजे” से प्रेरित होकर बनाया गया था।
बालेश्वर यादव को मिले सम्मान और आखिरी शो
बालेश्वर यादव को उनके योगदान के लिए यश भारती सम्मान से नवाजा गया था, जो उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दिया जाने वाला एक प्रतिष्ठित पुरस्कार है। उन्होंने अपनी आखिरी प्रस्तुति 2008 में सूरीनाम में दी थी। उसी साल कुछ समय बाद उनका निधन हो गया, जिससे भोजपुरी संगीत जगत में एक गहरा शोक छा गया।
राधा श्रीवास्तव की परफॉर्मेंस और उसके बाद के विवाद ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या नई पीढ़ी के कलाकारों को पुराने कलाकारों की मेहनत का सम्मान करना चाहिए? बालेश्वर यादव जैसे महान लोकगायक ने जो पहचान बनाई, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा है। ऐसे में उनके योगदान को नजरअंदाज करना उनके प्रशंसकों के लिए एक बड़ा झटका है।
राधा श्रीवास्तव का यह सफर आगे क्या मोड़ लेता है, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन इस विवाद ने इंडियन आइडल के मंच और सोशल मीडिया दोनों पर बड़ी चर्चा छेड़ दी है।