धीरज तिवारी की रिपोर्ट
देवरिया। कसया रोड स्थित 112 वर्ष पुरानी श्री पिंजरा पोल गौशाला में गोपाष्टमी पर्व के पावन अवसर पर एक भव्य आयोजन संपन्न हुआ। इस आयोजन के मुख्य अतिथि के रूप में देवरिया की जिलाधिकारी श्रीमती दिव्या मित्तल ने विधि-विधान से गोपूजन कर इस पर्व को विशेष बनाया। उन्होंने गायों को गुड़ व फल खिलाकर उनकी सेवा की, जिससे गोशाला का वातावरण भक्तिमय हो गया।
जिलाधिकारी दिव्या मित्तल ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि “गौ सेवा हमारी संस्कृति और जीवन मूल्यों का अभिन्न हिस्सा है। इसे जीवित रखना और आगे बढ़ाना हम सभी का नैतिक दायित्व है। गौमाता की सेवा हमें न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करती है बल्कि हमारे समाज में करुणा और सद्भाव को भी बढ़ावा देती है।”
इससे पूर्व, गौशाला के मंत्री आचार्य परमेश्वर जोशी ने जिलाधिकारी का पारंपरिक स्वागत किया और संस्था की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि 112 वर्षों से श्री पिंजरा पोल गौशाला गौसेवा के क्षेत्र में अपना अनवरत योगदान दे रही है, और इस गोपाष्टमी के आयोजन का उद्देश्य गौ सेवा को प्रोत्साहित करना है।
गोपाष्टमी के इस भव्य आयोजन में शहर के प्रतिष्ठित श्रद्धालुओं ने बड़ी संख्या में भाग लिया। इनमें बीआरडी पीजी कॉलेज देवरिया के प्राचार्य डॉ. शरद चंद्र मिश्रा, पंडित आद्या प्रसाद, डॉ. अनिल त्रिपाठी, इंद्र कुमार दीक्षित, पंडित कमलनयन चतुर्वेदी, देवेंद्र मणि, शिव कुमार गोयल, पुरुषोत्तम मद्धेशिया, मधुसूदन मणि त्रिपाठी, पंडित उपेंद्रनाथ त्रिपाठी, आनंद, झुनझुनवाला, भरत केजड़ीवाल, अमर अग्रवाल, विजय प्रसाद, श्याम सुंदर भगत, संजय, नरेश अग्रवाल, ओम प्रकाश और नवनीत अग्रवाल समेत कई श्रद्धालु एवं समाज के प्रतिष्ठित नागरिक शामिल रहे।
संस्था के अध्यक्ष संजय केडिया के मार्गदर्शन में पंचदेव पूजन, गौ पूजन और हवन का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस धार्मिक आयोजन में शामिल होकर सभी ने गौशाला की समृद्धि, कल्याण एवं उत्थान के लिए प्रार्थना की।
पूरे दिन चले इस कार्यक्रम में श्रद्धालुओं ने न केवल गौ सेवा का आनंद लिया बल्कि गौशाला के प्रति अपना समर्थन भी व्यक्त किया। आयोजन का मुख्य उद्देश्य समाज में गौ सेवा के प्रति जागरूकता फैलाना और लोगों को इस पुनीत कार्य के लिए प्रेरित करना था।
गोपाष्टमी के इस पावन पर्व ने श्री पिंजरा पोल गौशाला के ऐतिहासिक महत्व को फिर से जीवंत कर दिया और लोगों को गौ सेवा के प्रति प्रेरित किया। इस आयोजन ने एक बार फिर से यह सिद्ध कर दिया कि हमारी संस्कृति में गौ सेवा का महत्वपूर्ण स्थान है, जिसे संरक्षित और संजोकर रखना हम सभी का कर्तव्य है।