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November 5, 2024 9:19 am

परंपरा के नाम पर भैंसों की लड़ाई: क्रूरता के खिलाफ पीएफए की शिकायत पर प्रशासन हरकत में

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चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

बरेली के कैंट क्षेत्र में गोवर्धन पूजा के अवसर पर भैंसों की लड़ाई का आयोजन किया गया, जिसे परंपरा के नाम पर उचित ठहराने की कोशिश की गई। इस आयोजन का वीडियो सामने आने पर पशुओं पर हिंसा के खिलाफ काम करने वाली संस्था पीपुल फॉर एनीमल्स (पीएफए) ने पुलिस और प्रशासन से शिकायत की।

वीडियो में दिखाया गया कि भैंसों को चारों ओर से लाठियों से घेरकर लड़ाई के लिए उकसाया जा रहा है, और मौजूद भीड़ शोर मचाकर इस क्रूरता का आनंद ले रही है। जब भैंसें घायल हो गईं तो उन्हें पीटकर अलग किया गया। आयोजकों ने दावा किया कि यह प्राचीन परंपरा है और इसमें कोई भैंसा घायल नहीं हुआ। लेकिन पीएफए के कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस तरह की लड़ाइयों में अक्सर पशुओं की पसलियां टूट जाती हैं और वे मरणासन्न अवस्था तक पहुंच जाते हैं।

मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. मेघ श्याम ने कहा कि जांच के लिए सोमवार को एक टीम बनाई जाएगी। यह टीम घटनास्थल पर जाकर भैंसों की स्थिति की जांच करेगी, और यदि किसी भैंसे के चोटिल होने का प्रमाण मिला तो आयोजकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि यह आयोजन प्रतिबंधित है और भविष्य में इसे रोकने के लिए नोटिस जारी किया जाएगा।

डीएम रविंद्र कुमार ने मामले की जांच के लिए सीएमओ को जिम्मेदारी सौंपी। क्षेत्रीय लेखपाल ने अपनी रिपोर्ट में पुष्टि की कि 2 नवंबर को गोकुल नगरी, सदर बाजार में दोपहर 12:30 से तीन बजे के बीच भैंसों की लड़ाई हुई थी। रिपोर्ट में आयोजन की जानकारी देते हुए जीतने और हारने वाले प्रतिभागियों का भी उल्लेख किया गया। हालांकि, रिपोर्ट में आयोजकों पर सख्त कार्रवाई करने से बचने का संकेत भी था।

पीएफए कार्यकर्ता धीरज पाठक ने बताया कि यह आयोजन पहले बैल के खुर के नीचे एक राक्षसी रूपी सूअर को कुचलने की प्रथा का हिस्सा था, लेकिन अब उसकी जगह भैंसों की लड़ाई ने ले ली है। इस बार आयोजन के विजेता को इनाम भी दिया गया। मेनका गांधी, पीएफए की संस्थापक और पूर्व सांसद, ने कहा कि भैंसों की लड़ाई पहले भी बंद कराई गई थी और इसे दोबारा शुरू करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने इसे एक गंभीर अपराध करार दिया और अधिकारियों से इस पर तुरंत कार्रवाई की मांग की।

कैंट थानाक्षेत्र के इंस्पेक्टर राजेश कुमार ने कहा कि उन्हें पीएफए कार्यकर्ताओं या स्थानीय लोगों से इस आयोजन की कोई पूर्व सूचना नहीं मिली थी। उन्होंने दावा किया कि अगर समय पर सूचना मिल जाती तो वे इस आयोजन को रुकवा देते।

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