संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चंदौसी में एक दिल को झकझोर देने वाली घटना सामने आई, जब वृद्धाश्रम में रह रहे बुजुर्गों ने जिलाधिकारी के सामने अपनी दर्दभरी कहानियां बयां कीं। शनिवार को डीएम डॉ. राजेंद्र पैंसिया और एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई जब वृद्धाश्रम का दौरा करने पहुंचे, तो वहां रह रहे बुजुर्गों ने अपने बेटों और बहुओं द्वारा किए गए अत्याचारों का खुलासा किया। उनके दुखभरे अनुभव सुनते ही अधिकारियों के साथ-साथ वहां मौजूद लोग भी भावुक हो उठे।
कैथल गेट स्थित वृद्धाश्रम में कई बुजुर्ग ऐसे हैं, जो अपने ही बच्चों द्वारा सताए गए हैं और अपने जीवन के अंतिम दिनों में इस आश्रय गृह में रहने के लिए मजबूर हैं। इनमें से एक हैं पथरा तारापुर के निवासी नत्थूलाल, जिनका बेटा मुरादाबाद में एलआईसी में असिस्टेंट मैनेजर था। 2010 में उनके बेटे की हत्या कर दी गई, और इसके बाद उनकी बहू ने संपत्ति पर कब्जा कर लिया और हत्या के आरोपी से ही शादी कर ली।
जब नत्थूलाल ने अपनी संपत्ति वापस पाने की कोशिश की, तो बहू ने उन्हें घर से बाहर निकाल दिया। इस घटना को सुनाते हुए नत्थूलाल की आंखों से आंसू छलक पड़े।
इसी तरह जय गोपाल चंद्र, जो ब्रह्मबाजार के निवासी हैं, ने भी अपनी पीड़ा व्यक्त की। उन्होंने बताया कि उनके नाम का मकान होते हुए भी उनका बेटा उन्हें घर में रहने नहीं देता। बेटे ने मकान पर कब्जा कर स्कूटी और अन्य सामान बेच दिया। जब उन्होंने इसका विरोध किया, तो बेटे ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया और मारपीट पर उतारू हो गया। मजबूरी में उन्होंने वृद्धाश्रम में शरण ली। जय गोपाल ने भावुक होकर कहा, “जिनके लिए सब कुछ किया, वही दुश्मन बन गए।”
वृद्धाश्रम में रह रहे अन्य बुजुर्गों ने भी ऐसी ही कहानियां साझा कीं। अधिकांश बुजुर्ग अपने बेटों और बहुओं की बेरुखी और क्रूरता के कारण वहां रह रहे हैं। कुछ ने अपने बेटों के बुरे आचरण के कारण घर छोड़ दिया, तो कुछ को घर से जबरदस्ती बाहर निकाला गया।
इन बुजुर्गों की व्यथा सुनने के बाद जिलाधिकारी ने कड़ा रुख अपनाया और आदेश दिया कि जिन बेटों ने अपने माता-पिता को घर से निकाला है और उनकी संपत्ति पर कब्जा किया है, उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई जाए और उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा जाए। इसके साथ ही उन्होंने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि बुजुर्गों को उनकी संपत्ति और घरों में रहने का अधिकार वापस मिले।
जिलाधिकारी ने वृद्धाश्रम के कर्मचारियों को यह भी आदेश दिया कि वे सभी बुजुर्गों की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों का ध्यान रखें और उनकी संपत्ति और शिकायतों का रजिस्टर तैयार करें।
इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि समाज में आज भी कई बुजुर्ग अपने ही अपनों द्वारा सताए जा रहे हैं, और उन्हें अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में अनाथों की तरह आश्रय गृह में रहना पड़ रहा है।
Author: samachar
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