आनंद शर्मा की रिपोर्ट
अजमेर: राजस्थान में विधानसभा सत्र चल रहा है। यहां अजमेर में बने एक स्मारक को लेकर भी चर्चा हुई। दरअसल, अजमेर की दक्षिण विधानसभा सीट से विधायक अनीता भदेल की ओर से सत्र में चश्मा-ए-नूर (हैप्पी वैली) नाम से पहचान रखने वाले स्मारक के डवलपमेंट को लेकर पूछा गया था। इस सवाल के जबाव पर्यटन मंत्री ने यह जानकारी दी। इस दौरान मंत्री ने कहा कि चश्मा -ए -नूर वन विभाग के अंतर्गत में आता है। उन्होंने आश्वासन दिया कि वहां विकास कार्यों के लिए राज्य सरकार की ओर से वन विभाग को पुनः पत्र लिखकर यहां के डवलपमेंट का समाधान निकालने का प्रयास किया जाएगा ।
प्रश्नकाल के दौरान पूछे गए इस सवाल पर मंत्री ने विधायक भदेल को साल 2017 और 2018 में खर्च की गई राशि की जानकारी भी दी।
क्या है चश्मा-ए-नूर
चश्मा-ए-नूर का निर्माण मुगल बादशाह जहांगीर ने करावाया था, जो विश्व प्रसिद्ध अजमेर दरगाह के पीछे तारागढ़ पहाड़ी की घाटी में बना हुआ है। यह महल उन्होंने अपने नाम यानी नूरुद्दीन जहांगीर के आधार पर रखा था। तारागढ़ की तलहटी में स्थित यह एक ऐसी प्राकृतिक जगह है, जहां पैदल ही जाया जा सकता है।
जहांगीर सत्रह बार यहां आए थे
बताया जाता है कि बादशाह जहांगीर यहां करीब सत्रह बार आए थे। यहां बाग-बगीचे के अतिरिक्त एक कुंड भी था, जिसमें नूरजहां गुलाब की पंखुडियों से स्नान किया करती थी। कहा जाता है कि नूरजहां ने यहीं गुलाब के इत्र का अविष्कार किया था। कहा जाता है कि गुलाब की महक नूरजहां को अजमेर खींच लाई थी। अंग्रेज इस स्थान को हैप्पी वैली कहा करते थे।
Author: samachar
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