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शैक्षिक संवाद मंच द्वारा आयोजित यात्रा वृत्तांत पर द्वितीय कार्यशाला संपन्न ; प्रदेश के 75 प्रतिभागी हुए शामिल

दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

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अतर्रा(बांदा)। यात्रा वृत्तांत लिखते समय लेखक की दृष्टि पाठक की रुचि पर होना चाहिए। वृत्तांत पढ़ते समय पाठक कितना आनंदित हो रहा है, किस तरह से स्वयं को उस यात्रा में महसूस कर रहा है, वह स्थल और घटनाओं से जुड़ पा रहा है, इन बातों का पूरा ध्यान रखने से श्रेष्ठ यात्रा वृत्तांत की सर्जना होती है। एक अच्छा यात्रा वृत्तांत पाठक को यात्री बना नये-नये स्थानों की यात्रा हेतु प्रेरित एवं उत्साहित करता है। यात्रा स्थल का ऐतिहासिक एवं भौगोलिक महत्व, संस्कृति, भाषा-बोली एवं सामाजिक स्थिति का द्श्यांकन यात्रा वृत्तांत में जान फूंक देता है। लेखन में ठहराव और क्लिष्ट शब्दावली प्रयोग से बचते हुए प्रवाहमयता, आम बोल चाल की भाषा एवं स्थानीय बोली-मुहावरों का प्रयोग यात्रा वृत्तांत को महत्वपूर्ण बना देता है।

पढ़ते समय पाठक के मन-मस्तिष्क में रुचि, रोमांच, जिज्ञासा बनी रहने से पाठक सहज रूप से आनन्द प्राप्त करता है।

उक्त बातें शैक्षिक संवाद मंच उत्तर प्रदेश द्वारा आयोजित ऑनलाइन यात्रा वृत्तांत लेखन प्रशिक्षण कार्यशाला में शिक्षक साहित्यकार प्रमोद दीक्षित मलय ने उपस्थित शिक्षक-शिक्षिकाओं से संवाद करते हुए कही। शैक्षिक संवाद मंच विद्यालयों को आनंदघर बनाने के लिए निरंतर प्रयत्नशील है। इसी उद्देश्य को लेकर शिक्षकों में पठन और लेखन कौशल विकसित करने हेतु अलग-अलग विधाओं पर साझा संग्रह मंच द्वारा प्रकाशित किये जा रहे हैं। इस कड़ी में यात्रा वृत्तान्त संग्रह के लिए द्वितीय ऑनलाइन कार्यशाला में संदर्भदता मलय ने 75 से अधिक शिक्षक शिक्षिकाओं को संबोधित किया।

प्रशिक्षण के दौरान संदर्भदाता प्रमोद दीक्षित मलय ने दर्जनों सवालों का बड़ी स्पष्टता और सहजता के साथ जवाब देते हुए कहा कि लेख में यात्रा में मिले सह-यात्रियों, छोटी-छोटी घटनाओं, सह-यात्राओं, तस्वीरों को भी शामिल करें। यात्रा वृत्तांत विधा के प्रशिक्षण की कड़ी में तीसरी कार्यशाला फरवरी माह में आयोजित की जाएगी जिसमें यात्रा विधा के प्रसिद्ध लेखक प्रशिक्षण प्रदान करेंगे। अंत में सभी प्रतिभागियों ने मंच और संदर्भदाता के प्रति आभार व्यक्त किया।

कार्यशाला में दीपक गुप्ता, अवनीश यादव, रश्मि मिश्रा, ममता देवी, विवेक पाठक, डॉ . कुमुद सिंह, रीनू पाल, सुषमा मलिक, अरुण कुमार, डॉ. प्रीति चौधरी, पूजा दुबे, प्रतिमा यादव, मंजू वर्मा, अर्चना सागर, सीमा मिश्रा, बिधु सिंह, अर्चना वर्मा, अभिलाषा गुप्ता, दुर्गेश्वर राय, वत्सला मिश्रा, डॉ. रचना सिंह, स्मृति दीक्षित, डॉ. सुमन गुप्ता, अर्चना पाठक, जयंती कुंडू, डॉ. प्रज्ञा त्रिवेदी, आरती तिवारी, डॉ. शालिनी गुप्ता, अमिता सचान, शिवाली जायसवाल, पूजा चतुर्वेदी, कमलेश पांडेय, प्रज्ञा राय, रश्मि त्रिपाठी, प्रेमनाथ नागर, ब्रजेश राय, रुखसाना बानो, रिम्पू सिंह, रमा दीक्षित, सबीना साहनी, ऋतु श्रीवास्तव, संतोष कुशवाहा, सीमा कुमारी, शैला राघव, वंदना श्रीवास्तव, अशोक प्रियदर्शी, डॉ. श्रवण गुप्त, वंदना यादव, जेबा अफरोज, शिखा सिंहल, अब्दुर्रहमान, मोहनलाल सुमन, माधुरी जायसवाल, आभा त्रिपाठी, कुमुद, डॉ. चैताली यादव, कनकलता, डॉ. रेखा यादव, अनुराधा दोहरे, डॉ. विभा शुक्ला, राजेंद्र राव, अनीता यादव, बलरामदत्त गुप्त, अनिल राजभर, डॉ. अरविंद द्विवेदी, शंकर रावत, संतोष कुशवाहा, मीरा रविकुल, सतीश भारती, अरुण कुमार सिंह, सुधारानी, पायल मलिक, अभय जैन, ज्ञानेश राजपूत, सुमन सिंह एवं अपर्णा नायक आदिक शिक्षक-शिक्षिका रचनाकार उपस्थित रहे।

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"ज़िद है दुनिया जीतने की" "हटो व्योम के मेघ पंथ से स्वर्ग लूटने हम आते हैं"
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