सुरेन्द्र प्रताप सिंह की रिपोर्ट
तामिया (छिंदवाड़ा), इंसान की मौत के बाद उसकी जाति-धर्म और संप्रदाय के हिसाब से उसका अंतिम संस्कार किया जाता है। कहीं शव को दफनाने का नियम है, तो कहीं दाह संस्कार किया जाता है।
यह बात भी सच है कि जिंदगी भर हम जिस धन-दौलत और शोहरत के पीछे भागते रहते हैं, मरने के बाद सारा कुछ हमारे पीछे छूट जाता है, जिसे लेकर परिवार के अन्य सदस्यों में विवाद खड़ा होता है।
लेकिन हास्पिटैलिटी एसेंशियल कंपनी तामिया मोटल के प्रबंधक सुवाश राउत ने इस दिशा में एक अनूठी मिसाल पेश की है।
उन्होंने अपनी माताजी के निधन के बाद उनके सोने के जितने भी आभूषण थे उन सभी को अग्नि को समर्पित कर संदेश दिया है कि जेवरों को लेकर उनके परिवार में भाई-बहनों के बीच कोई विवाद खड़ा नहीं होगा।
वीडियो कॉल पर हुई थी मां से आखिरी बार बात
बीते 15 अक्टूबर को मोटेल तामिया के प्रबंधक सुवाश राउत ने अपनी बहन के घर राजस्थान के भीलवाड़ा में रह रहीं माताजी (77 वर्षीय) चंद्रमणि राउत से वीडियो काल पर आखिरी बार बात की। कुछ समय बाद बहन ने मां के निधन की सूचना दी।
रीति-रिवाज से किया मां का अंतिम संस्कार
मूल रूप से ओडिशा के बालेश्वर जिले के निवासी सुवाश राउत चार भाई-बहनों में मंझले हैं। उनके बड़े और छोटे भाई उड़ीसा में रहते हैं। वहीं, एक बहन राजस्थान के भीलवाड़ा में है। सुवाश नौकरी के चलते तामिया में हैं।
वह इसके पहले अपने पिता के निधन के तीन दिन बाद ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर से 200 किमी दूर बालेश्वर में अपने पैतृक गांव पहुंच पाए थे। माताजी के निधन की सूचना पर उन्होंने भीलवाड़ा पहुंचकर अपनी माताजी का अंतिम संस्कार किया और उन्हें मुखाग्नि दी।
बहन-भाइयों से बात करने के बाद लिया यह अहम फैसला
उन्होंने अपनी बहन और भाइयों से विचार-विमर्श करने के बाद अपनी दिवंगत माताजी के सोने के आभूषण लाल कपड़े में बांधकर वहीं चिता की अग्नि में समर्पित कर दिया। सुवाश ने बताया कि मां के जाने के बाद गहनों के कारण कोई विवाद ना हो इसलिए उन्होंने ऐसा करने का फैसला लिया।
Author: samachar
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