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आज का मुद्दा

कोख में बेटियों की हत्या में यूपी के बढ़ते कदम ; बेटियों की घटती संख्या के कारण 10 प्रतिशत लड़के रहेंगे कुंवारे

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

आज अष्टमी है। हम सभी कन्यापूजन की तैयारी में लगे हैं या कर रहे हैं। लेकिन, अथाह श्रद्धा से कन्यापूजन करने वाले इस देश में कन्याओं की स्थिति कितनी दर्दनाक रही है, और आज भी है। इससे जुड़ी हम आपको रुला देने वाली दो सच्ची कहानियां बताते हैं।

पहली कहानी: बरसों पुरानी है, मगर यह एक साइंटिफिक रिसर्च का हिस्सा है। एक समय पंजाब के एक समुदाय में जन्म लेते ही बेटियों को मार देने की कुप्रथा थी। हत्या के बाद नवजात के मुंह में गुड़ और हाथ में कपड़े का टुकड़ा रख दिया जाता था। फिर प्रार्थना की जाती कि बेटी, तुम इस दुनिया में दोबारा मत आना, अपने भाइयों को भेज देना।

दूसरी कहानी: पिछले साल अगस्त की है। मुंबई की रहने वाली 40 साल की महिला ने पति पर केस दर्ज कराया। आरोप था कि बेटे की चाह में पति ने 13 साल में 8 बार उसका गर्भपात कराया। प्रेग्नेंट होने पर पति गर्भ में पल रहे बच्चे की जांच करवाता था और बेटी का पता चलने पर हॉन्गकॉन्ग ले जाकर अबॉर्शन करवा देता था। इस वजह से महिला को कम से कम 1500 तरह की दवाएं और इंजेक्शन लेने पड़े।

हरियाणा-पंजाब में तो आप बरसों से ऐसे मामलों के बारे में सुनते-पढ़ते आ रहे होंगे। तमाम रिसर्च हुईं। अनगिनत खबरें छपीं। सरकारों का भी ध्यान हरियाणा-पंजाब पर बना रहा। इस बीच उत्तर प्रदेश की तरफ किसी का ध्यान नहीं गया, जहां खतरा पंजाब और हरियाणा से कम नहीं है। ऐसे में देश की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य में बेटों के लिए बेटियों की हत्या का सिलसिला जारी रहा।

कुछ वक्त पहले आई एक रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि 2030 तक UP में 20 लाख बच्चियों को गर्भ में ही मार दिया जाएगा। इसकी पुष्टि IIT दिल्ली की प्रोफेसर और एंथ्रोपोलॉजिस्ट रविंदर कौर की रिसर्च से भी होती है।

उत्तर प्रदेश में फीमेल फीटिसाइड के मुद्दे पर रिसर्च कर रहीं प्रोफेसर रविंदर कौर के मुताबिक आने वाले सालों में देश की 30 से 40 फीसदी कन्या भ्रूण हत्याएं अकेले UP में ही सामने आएंगी।

बेटियों की संख्या कम होने की वजह से बड़ी संख्या में लड़कों की शादियां नहीं हो सकेंगी। प्रोफेसर कौर की ही एक और रिपोर्ट के अनुसार 2012 में यूपी में 10 फीसदी पुरुषों की शादियां नहीं हो सकी थीं। 2050 तक ऐसे पुरुषों की संख्या बढ़कर 17 फीसदी तक हो जाएगी, जिन्हें बिना किसी जीवनसाथी के अकेले जिंदगी बितानी पड़ेगी।

नेपाल-बांग्लादेश से खरीदकर लाते हैं दुल्हन

सबसे पहले बात पश्चिमी UP की, जहां प्रतिबंध के बावजूद न सिर्फ अल्ट्रासाउंड जांच के बाद कन्या भ्रूण हत्या जारी है, बल्कि इसमें खुद स्वास्थ्यकर्मी भी शामिल हैं। खासकर पहला बच्चा होने के बाद दूसरी प्रेग्नेंसी में आशा वर्कर की मदद से भ्रूण के लिंग की जांच होती है। और अगर लड़की मिलती है, तो निजी अस्पताल ले जाकर अबॉर्शन करा दिया जाता है। आशा वर्कर इस क्रूरता के लिए पैसे लेती हैं।

ये बात द यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबरा, स्कॉटलैंड में रिसर्चर श्रुति चौधरी ने 2021 में प्रकाशित अपनी किताब ‘मूविंग फॉर मैरिज: इनइक्वलिटी, इंटिमेसी एंड वुमेंस लाइव्स इन रूरल नॉर्थ इंडिया’ में बताई है। उन्होंने यह रिसर्च 2012-2013 में की। 1901 की जनगणना के समय यूपी में सेक्स रेशियो 938 था। अल्ट्रासाउंड जांच शुरू होने के बाद 1981 में सेक्स रेशियो घटकर 882 तक आ गया।

2011 में हुई जनगणना के मुताबिक यहां 1000 लड़कों पर 912 लड़कियां ही बची थीं। कन्या भ्रूण हत्या में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई तो हरियाणा-पंजाब की तरह ही यहां भी बेटों की शादी के लिए बांग्लादेश, नेपाल, पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, ओडिशा और छत्तीसगढ़ के गरीब परिवारों की लड़कियों को खरीदकर बहू बनाने का सिलसिला तेज हो गया।

UP में दूसरे राज्यों से सबसे ज्यादा बहुएं 1990 के दशक में आईं, और ये सिलसिला अभी भी जारी है।

उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा खराब होंगे हालात

बेटियों को लेकर भारत में ही नहीं, विदेशों में भी चिंता जताई जा रही है। 2017 से 2030 के बीच भारत में 68 लाख बेटियां जन्म लेने से पहले ही मार दी जाएंगी। 2017 से 2025 के बीच हर साल 4.69 लाख बच्चियों की गर्भ में हत्या की आशंका है, जबकि 2026 से 2030 के बीच हर साल 5.19 लाख बेटियों को जन्म नहीं लेने दिया जाएगा।

सऊदी अरब की किंग अब्दुल्ला यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में प्रोफेसर फेंग्किंग चाओ ने 2020 में आई अपनी रिसर्च में ये बातें कही हैं।

जर्नल ‘प्लोस’ में छपी उनकी रिपोर्ट में बताया गया है कि सबसे खराब हालात उत्तर प्रदेश में होंगे। सिर्फ UP में ही 2017 से 2030 के बीच 20 लाख बेटियां दुनिया नहीं देख सकेंगी। बेटे की चाहत में उन्हें गर्भ में ही मार दिया जाएगा। ये कोरा अनुमान नहीं है, यह बात उन्होंने वैज्ञानिक रिसर्च के आधार पर की है।

सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य में कम पैदा हो रहीं लड़कियां

डेमोग्राफर श्रीनिवास गोली कहते हैं कि उत्तर प्रदेश देश का सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला राज्य है। सबसे ज्यादा बच्चों का जन्म भी यहीं होता है।

‘हेल्थ मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम’ के अनुसार 2019-20 के दौरान पूरे देश में 2.12 करोड़ बच्चों का जन्म हुआ। इनमें से 40.71 लाख बच्चे सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही पैदा हुए। इस दौरान यहां 1000 बच्चों पर महज 927 बच्चियों का जन्म हुआ।

2015-16 के NFHS-4 के दौरान UP में फर्टिलिटी रेट प्रति महिला बच्चों की संख्या 2.7 थी, जो 2019-21 में घटकर 2.4 रह गई। यहां के फर्टिलिटी रेट में गिरावट होती रही और UP पर ध्यान न दिया गया, समय रहते कदम न उठाए गए, तो पूरे देश पर इसका असर दिखेगा।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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