संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट – स्वच्छ भारत अभियान के तहत सरकार द्वारा हर वर्ष लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं लेकिन ग्राम पंचायतों में आज भी गंदगी का अंबार लगा हुआ है जिसपर जिम्मेदार अधिकारी भी ध्यान नहीं दे रहे हैं l
ग्राम पंचायतों को स्वच्छ बनाए रखने के लिए सफईकर्मचारियों की नियुक्ति की गई है लेकिन ज्यादातर सफाई कर्मचारी सरकारी कार्यालयों में अर्दली, ड्राइवर व बाबू बने बैठे हैं जिनका पे रोल फर्जी तरीक़े से भरकर मनमाने तरीके से वेतन भुगतान किया जा रहा है l
सरकारी कार्यालयों में तैनात सफाई कर्मचारी अधिकारियों की जी हजूरी में लगे हुए हैं जो जिम्मेदार अधिकारियो की अवैध वसूली का मुख्य जरिया बने हुए हैं l
सूत्रों के अनुसार पता चला है कि विकास भवन में सरकारी कार्यालयों में तैनात सफाई कर्मचारियों की तूती बोलती है जो जिम्मेदार अधिकारियो के संरक्षण में रहकर मनमाने तरीके से वसूली करते हुए नज़र आ रहे हैं इसी अवैध वसूली के चलते सफाई कर्मचारी जिम्मेदार अधिकारियों के चहेते बनें हुए हैं व बिना ग्राम पंचायतों में कार्य किए ही वेतन आहरित कर रहे हैं l
वहीं सफाई कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष की मनमानी सर चढ़ कर बोल रही है जो अपनी मनमानी करते हुए ग्राम पंचायत में साफ सफाई करने कभी नहीं जाते हैं सफाई कर्मचारी जिलाध्यक्ष द्वारा झाड़ू फावड़ा पकड़ने व साफ सफाई करने की जगह माइक लगाकर गाना गाते हुए नज़र आ रहे हैं जिसके वीडियो सोशल मीडिया में ख़ूब देखने को मिल रहे हैं l
जिला मुख्यालय के कलेक्ट्रेट व विकास भवन से सटे ग्राम पंचायत डिलौरा में तैनात सफाई कर्मचारी गांव में साफ सफाई करने के बजाय सोशल मीडिया में वीडियो बनाने का काम करते हुए नज़र आ रहा है जिसे जिला पंचायत राज अधिकारी कार्यालय में तैनात बाबुओं का संरक्षण प्राप्त है जिसके कारण सफाई कर्मचारी अपनी मनमानी करते हुए कार्य कर रहा है l
निदेशक पंचायती राज के निर्देशों का खुला उलंघन करते हुए सफाई कर्मचारी सरकारी कार्यालयों में अर्दली, ड्राइवर व चपरासी बनें बैठें है जिसके कारण ग्राम पंचायतों में सफाई करने वाला कोई नहीं है वहीं जिम्मेदार अधिकारियों को ग्राम पंचायतों की स्वच्छता से ज्यादा अपनी सेवा करवाने में ज्यादा ध्यान दिया जाता है जिसके कारण सफाई कर्मचारी अपनी मनमानी करते हुए जिला मुख्यालय के सरकारी कार्यालयों के इर्दगिर्द घूमते हुए नज़र आते हैं l
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."