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“कुख्यात” चंबल के “विख्यात” कटहल की धूम मचेगी आज से, नैसर्गिक सुंदरता के नजारों के बीच लजीज व्यंजन

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चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

इटावा: दशकों तक कुख्यात डाकुओं की शरणस्थली के तौर पर कुख्यात चंबल घाटी की सुदंरता में चार चांद लगाने वाली पंचनदा की ओर सैलानियों को आकर्षित करने की कवायद के तहत 18 जून से तीन दिवसीय चंबल कटहल फेस्टिवल का आयोजन किया जायेगा जिसमें नैसर्गिक सुंदरता के नजारे के साथ कटहल से बने व्यंजनों का भी लुत्फ उठाया जा सकेगा।

चंबल फाउंडेशन की ओर से 18, 19 और 20 जून को पंचनद पर आयोजित फेस्टिवल में विविध कार्यक्रमों का लुत्फ पर्यटक ले सकेंगे। चंबल टूरिज्म मुहिम के तहत तीन वर्षों से चंबल की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक एव प्राकृतिक धरोहरों से देशी-विदेशी सैलानी परिचित होते रहे हैं।

चंबल की धरोहर कटहल की लगातार सिमट रही फसल को विस्तार और गति देने के लिए यह आयोजन पांच नदियों के ऐतिहासिक संगम पर किया जा रहा है।      

फेस्टिवल के दौरान कटहल व्यंजनों के अनोखे संसार से सैलानियों को रूबरू होने का मौका मिलेगा। साथ ही कैम्पिंग, कैम्प फायर, हाइकिंग, बोटिंग, माइक्रो राफ्टिंग, सेंड स्पोट्र्स, कैमल राइडिंग, बीच नाइट स्टे, योगा एवं अन्य कार्यक्रम समानांतर होते रहेंगे। इसके साथ ही सैलानी बिना बर्तनों के खुद अपने हाथ से भोजन बनाकर कर रोमांच से भर जाएंगे।

चंबल फाउंडेशन का मानना है कि चंबल कटहल फेस्टिवल से बीहड़वासी कटहल का पौधा लगाने के लिए आकर्षित होंगे। फेस्टिवल में जहां कई प्रदेशों के कटहलों की एक बड़ी प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। वहीं कटहल से क्या-क्या खाने की चीजें बनाई जा सकती है उसका जायका भी लिया जा सकेगा। बीहड़वासी घर और बागान में कटहल लगाकर कैसे इसका स्वाद ले सकते हैं यह भी बताया जाएगा।

फेस्टिवल में कटहल पर शोध करने वाले वैज्ञानिक, कटहल उत्पादक किसान, कटहल बेचने वाले व्यवसायियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों को भी आमंत्रित किया गया है।

चंबल कटहल फेस्टिवल के संयोजक अजय कुमार ने बताया कि कटहल एक रहस्यमयी पौधा है। चंबल क्षेत्र में यह पौधा किसी वरदान से कम नहीं था। यह मुसीबत के समय का साथी था।

ब्रिटिश अदालतें कटहल के पेड़ को सक्षम मानती थी और इतना भरोसा करती थीं कि हत्या जैसे संगीन अपराध में पांच कटहल के पेड़ों से जमानत मिल जाती थी। जिस केस में जमानत के तौर में जितनी धन राशि कोर्ट में दिखानी होती थी। उस हिसाब से हरा सोना की कीमत का आंकलन कर लोगों को कोर्ट से राहत मिल जाती थी। लिहाजा पूरे चंबल अंचल में कटहल बहुतायत मात्रा में उगाए जाते थे। हालांकि कटहल के प्रति उदासीनता अब बढ़ती जा रही है। जबकि कटहल बागान के लिए चंबल की मिट्टी मुफीद है।      

चंबल फाउंडेशन प्रमुख शाह आलम राना ने कहा कि स्वाद और पौष्टिकता के नजरिये से कटहल का कोई सानी नहीं है। कटहल कई औषधीय गुणों से भरपूर है।

कटहल में कई पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं जैसे, विटामिन ए,सी,थाइमिन, पोटैशियम, कैल्शियम, राइबोफ्लेविन, आयरन, नियासिन और जिंक। यही नहीं इसमें ढेर सारा फाइबर भी पाया जाता है। हालांकि इसके बावजूद ज्यादातर लोग कटहल को नॉन वेज का बेस्ट ऑप्शन मानते है। यह अपने प्रोटीन कंटेट के कारण शाकाहारी लोगों में मांस के विकल्प के रूप में खूब लोकप्रिय हो रहा है।

फल, बीज तथा गूदे के उपयोग के अतिरिक्त कटहल के पत्ते, छाल, पुष्पक्रम तथा लैटेक्स का उपयोग पारंपरिक दवाओं में भी किया जाता है। बढ़ती जागरूकता तथा देश भर में कटहल किसानों तथा उद्यमियों के सतत प्रयासों से कटहल निश्चित रूप से सबसे अधिक मांग वाला फल बन जाएगा।

आज भी कटहल की सिंगापुर, नेपाल, कतर, जर्मनी, थाईलैंड आदि देशों में भारी मांग है। चंबल कटहल फेस्टिवल से रोजगार के द्वार भी खुलेंगे।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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