बाबासाहब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में सीएम योगी आदित्यनाथ ने 1 घंटे 25 मिनट के भाषण में विकास, विरासत, और उद्यमिता को लेकर दिए विचार। कानपुर और कोलकाता के उदाहरण से चेताया, साथ ही 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य तय करने की बात कही।
लखनऊ, बाबासाहब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय के 29वें स्थापना दिवस समारोह में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक प्रेरक और मार्गदर्शक भाषण दिया, जो लगभग 1 घंटे 25 मिनट तक चला। इस अवसर पर उन्होंने अतीत की गलतियों से सीख लेकर भविष्य की दिशा तय करने की आवश्यकता पर बल दिया।
“हमारी मांगें पूरी हों…” के पीछे की कीमत
अपने संबोधन की शुरुआत में सीएम योगी ने एक तीव्र और विचारोत्तेजक उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा, “हमारी मांगें पूरी हों, चाहे जो मजबूरी हो…” जैसे नारे सुनने में भले ही आकर्षक लगें, लेकिन इनका परिणाम कभी-कभी विनाशकारी होता है। उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि आज से लगभग 40 साल पहले, कानपुर देश के चार प्रमुख महानगरों में शामिल था। वहां का टेक्सटाइल उद्योग विश्व प्रसिद्ध था और लाखों लोगों की आजीविका का साधन भी।
हालांकि, जैसे-जैसे आंदोलनकारी नारे तेज हुए, एक-एक कर वहां की यूनिट्स बंद होती चली गईं। पूंजीपति निवेश हटाकर अन्य राज्यों में चले गए और मजदूरों को सब्जी बेचने तक के लिए मजबूर होना पड़ा। सीएम ने कोलकाता का उदाहरण भी दिया, जहां अब ऐसी ही स्थिति बनती दिख रही है।
2047 तक विकसित भारत: एक साझा संकल्प
सीएम योगी ने युवाओं और विश्वविद्यालय के छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि हर व्यक्ति के पास अगले 25 वर्षों का रोडमैप होना चाहिए। “अगर लक्ष्य ही स्पष्ट नहीं होगा, तो हम किस दिशा में चलेंगे?” उन्होंने जोर देकर कहा कि 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाना ही हमारा साझा संकल्प होना चाहिए।
“मैं आदि और अंत में भारतीय हूं”
योगी आदित्यनाथ ने डॉ. भीमराव अंबेडकर के जीवन और विचारों को याद करते हुए कहा कि उन्हें समझने के लिए बस एक वाक्य पर्याप्त है – “मैं आदि और अंत में भारतीय हूं।” उन्होंने बताया कि बाबा साहब ने अभाव, भेदभाव और सामाजिक बेड़ियों के बीच से निकलकर उच्च शिक्षा प्राप्त की और भारत को एक न्यायसंगत संविधान प्रदान किया।
महाकुंभ में दिखा अंबेडकर का सपना
मुख्यमंत्री ने प्रयागराज महाकुंभ की चर्चा करते हुए कहा कि हमने वहां बाबा साहब के सपनों को धरातल पर उतारा है। अब महाकुंभ में भेदभाव और गंदगी की जगह स्वच्छता और समरसता का दृश्य दिखता है। उन्होंने विदेशी लेखकों पर भरोसा करने की मानसिकता पर भी सवाल उठाया और ज्योतिबा फुले, सावित्रीबाई फुले जैसे भारतीय चिंतकों को महत्व देने की बात कही।
महिलाओं को सबसे पहले मताधिकार भारत में
सीएम ने गर्व से बताया कि दुनिया के कई देशों में महिलाओं को मताधिकार काफी देर से मिला, लेकिन भारत में यह अधिकार 1952 के पहले आम चुनाव में ही मिल गया। उन्होंने यह उपलब्धि बाबा साहब के संविधान निर्माण को समर्पित किया।

ऋषि परंपरा और शिक्षा का महत्व
अंबेडकर के शैक्षणिक जीवन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने बीएससी, लॉ और अर्थशास्त्र की उच्च शिक्षा हासिल की। वे भारत के पहले अर्थशास्त्री भी माने जाते हैं। शिक्षा ही सर्वांगीण विकास की पहली सीढ़ी है – यह संदेश युवाओं को देना आवश्यक है।
कुंभ 2025 और यूपी की नई पहचान
सीएम योगी ने बताया कि 2017 में सरकार बनने के बाद केवल डेढ़ साल में पहला कुंभ आयोजित किया गया। उस समय दुनिया में कुंभ की पहचान गंदगी और अव्यवस्था से जुड़ी थी। लेकिन हमने उस धारणा को बदला। 2019 के अनुभव को 2025 के लिए आधार बनाकर काम किया जा रहा है।
युवाओं के लिए स्वरोजगार और GI टैग की उपलब्धियां
उन्होंने मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना का जिक्र करते हुए बताया कि इस योजना के तहत 1 लाख युवाओं को हर साल 5 लाख रुपये तक का ब्याज मुक्त ऋण दिया जाएगा। अभी तक 30,000 से अधिक लोगों को इसका लाभ मिल चुका है।
साथ ही, उत्तर प्रदेश के 77 उत्पादों को GI टैग मिल चुका है, जो प्रदेश को वैश्विक पहचान दिला रहे हैं।
MSME और ODOP का बढ़ता प्रभाव
कोविड लॉकडाउन के समय लाखों कामगारों को MSME यूनिट्स में रोजगार देकर न सिर्फ उन्हें सुरक्षित रखा गया, बल्कि अर्थव्यवस्था को भी मजबूती दी गई। ODOP (One District One Product) योजना को लेकर सीएम ने कुलपति से आग्रह किया कि विश्वविद्यालय में इससे जुड़े उत्पादों की शोकेसिंग कराई जाए।
कुलपति ने की सराहना
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.के. मित्तल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना ‘संत सिपाही’ से की और कहा कि वे आध्यात्म और अनुशासन, दोनों को एक साथ साधते हैं। कार्यक्रम में 10 एल्युमनाई और सफल उद्यमियों को भी सम्मानित किया गया।
सीएम योगी का भाषण केवल एक राजनेता का उद्बोधन नहीं था, बल्कि यह एक दृष्टि थी – विकास, सामाजिक समरसता और आत्मनिर्भरता की। यह युवाओं, शिक्षकों और नीति-निर्माताओं के लिए एक मार्गदर्शन बनकर सामने आया। सचमुच, जब विरासत और विजन साथ चलें, तो कोई भी राष्ट्र विकास की ऊंचाइयों को छू सकता है।
➡️अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट