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27 December 2024 1:34 am

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कहाँ है आज वो ‘पियरी’ जो ‘गंगा मईया’ को चढाई जाए…और कहाँ है वो ‘सईयां’ जिनके बदौलत गंगा मईया को ये भेंट दी जाए…👇वीडियो

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 अनिल अनूप

जब हम भोजपुरी सिनेमा की बात करते हैं, तो 22 फरवरी 1963 का दिन हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यही वो दिन है जब पहली बार बड़े पर्दे पर एक भोजपुरी फिल्म रिलीज हुई। इस दिन ने न केवल भोजपुरी फिल्मों को एक नया मुकाम दिया, बल्कि भारतीय सिनेमा के कई दिग्गजों के योगदान को भी दर्शाया।

इस फिल्म का नाम है “गंगा मैया तोहे पियरी चढ़ैबो”, जिसने भोजपुरी सिनेमा के इतिहास में एक नया अध्याय शुरू किया। फिल्म का पोस्टर उस समय के प्रमुख सिनेमाघरों में छपा था, और यह पटना के वीणा सिनेमा हॉल में रिलीज हुई थी।

“गंगा मैया तोहे पियरी चढ़ैबो” में भोजपुरी कलाकारों के साथ-साथ हिंदी सिनेमा के कई जाने-माने चेहरे भी शामिल थे, जैसे कुमकुम, असीम कुमार, और नजीर हुसैन। इसके गीतों को हिंदी सिनेमा के प्रसिद्ध राइटर ने लिखा और लता मंगेशकर, मोहम्मद रफी, सुमन कल्याणपुरी और उषा मंगेशकर जैसे दिग्गज गायकों ने अपनी आवाज़ से इसे सजाया।

फिल्म का एक गाना “सैंया से कर दे मिलवा हाय राम” उस दौर में सुपर डुपर हिट रहा, जिसने भोजपुरी संगीत के प्रति लोगों का ध्यान खींचा।

22 फरवरी का दिन भोजपुरी सिनेमा के दीवानों के लिए सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन ने भोजपुरी फिल्मों के लिए एक ऐसा रास्ता खोला, जिस पर आज लाखों लोग चल रहे हैं।

इस तरह, “गंगा मैया तोहे पियरी चढ़ैबो” ने भोजपुरी सिनेमा को एक नई पहचान दी, और आज भी यह फिल्म एक प्रेरणा के रूप में जानी जाती है।

तो, भोजपुरी सिनेमा के फैंस के लिए यह दिन बेहद खास है, और हमें गर्व है कि हम इस ऐतिहासिक यात्रा का हिस्सा हैं।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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