कविता
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मां…..
-अनुराधा दोहरे तुम्हारे रंग रूप की मैं बनावट हूं , मां मैं तुम्हारी ही लिखावट हूं। तुम ही जीवन आधार…
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मातृ दिवस ; मां को नमन करते हुए कुछ कविताएं
मातृ दिवस…… जो केवल एक नहीं ,हर दिन मनाया जाने वाला दिवस है। “मां” एक ऐसी अभिव्यक्ति जिसके लिए शब्दों…
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कविता ; मीठे किस्से रूठ गये
प्रमोद दीक्षित मलय महुआ कैथा जामुन से रिश्ते टूट गये। नानी-दादी के मीठे किस्से रूठ गये। भूल गये अमराई में…
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कविता ; समाधान हल निकलेगा
• प्रमोद दीक्षित मलय संकट संबल निकलेगा। भाई का बल निकलेगा। पत्थर की कारा से अब, जीवन रस जल निकलेगा।।…
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कविता ; यह धूपभरा तन !
राजीव कुमार झा धरती पर यह नयी ऋतु जीवन की गति है , आगे बहती एक नदी है ! यौवन…
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भजन
गरिमा वार्ष्णेय तेरा सहारा मुझको वंशी बजैया तुझको ही सौपती हूं जीवन की नैया। 1.तुझको ही सौपती हूं जीवन के…
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ऐ रे कान्हा मधुसूदन….
प्रियांशु सक्सेना ऐ रे कान्हा मधुसूदन अर्पण तुझको तन और मन धरे बांसुरी अधर पर मोर पंख है मुकुटन घूँघर…
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कहां हैं श्यामल चरण तुम्हारे
पूनम पांडेय कहां हैं श्यामल चरण तुम्हारे, उनको भाल धरूं मैं मुख दर्शन के हूं अयोग्य मैं, इतनी विनय करूं…
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