ट्रक पर बना दिया 200 लोगों की क्षमता वाला सभी सुविधा उपलब्ध मैरिज हाल; वीडियो ? देखिए
बलिदान के सबूत में जिनका कटा सिर पेश किया गया था कोर्ट में वो क्रांतिवीर थे प्रफुल्ल चाकी
0 Views• प्रमोद दीक्षित मलय दिनांक 1 मई, 1908। पटना के निकट मोकामा घाट रेलवे स्टेशन। मुजफ्फरपुर से आने वाली ट्रेन प्लेटफार्म पर रुकने ही
“हम पड़ाव को समझे मंज़िल, लक्ष्य हुआ आँखों से ओझल, वर्त्तमान के मोहजाल में- आने वाला कल न भुलाएँ”
0 Viewsअनिल अनूप की खास रिपोर्ट …जी हां, ऊपर की पंक्ति अपने आप में एक संपूर्ण किताब है, एक ऐसी व्याख्या है जिसे समझने में
काजू भुने पलेट में, विस्की गिलास में, उतरा है रामराज विधायक निवास में’… कवि “अदम गोंडवी” की ये पंक्तियां आज कितनी यथार्थ है !
0 Viewsचुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट अदम गोंडवी का स्थान उन महत्वपूर्ण कवियों में हैं, जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से हर सच को कहने की
बिधि ने मुलायम को ‘राम भक्त’ बनने का मौका दिया था, उन्होंने राजनीति के लिए ‘मौलाना मुलायम’ होना खुद लिखा
0 Viewsदुर्गा प्रसाद शुक्ला की खास रिपोर्ट मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का कल 10 अक्टूबर 2022) इंतकाल हो गया। इसकी पुष्टि उनके उस
भारतेंदु हरिश्चंद्र : एक व्यापारी के घर गूंजी किलकारी ने अपनी साहित्य संपदा से देश के कोठार भर दिए
0 Viewsप्रमोद दीक्षित मलय 19वीं सदी का मध्यकाल। देश में पुनर्जागरण की आहट सुनाई दे रही थी। छापाखाना, रेल एवं तार ताल ठोककर आगे बढ़ने
तो ऐसी रही हमारी रोमांचक, मनोरम, दिव्य, बाबा केदारनाथ धाम यात्रा ; लाइव रिपोर्ट देखिए वीडियो ?
0 Viewsदुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट चार धाम हिमालय में चार पवित्र भारतीय तीर्थों – यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ – का एक समूह है।
‘खामोशियां गुनगुनाने लगी’ : एक ऐसा शायर जिसने गीत लिखे तो वो मिसाल बन गए ; मजरुह सुल्तानपुरी
1 Views-अनिल अनूप आज बेहतरीन शायर और गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी की 22वीं पुण्यतिथि है। मजरूह सुल्तानपुरी के गीत हर पीढ़ी में उतनी ही शिद्दत से
लखनऊ की तहजीब को ओढऩे बिछाने वाले काबिल इतिहासकार “योगेश प्रवीन”
0 Viewsअनिल अनूप लखनऊवा नफ़ासत उन के मिजाज और लेखन दोनों ही में छलकती मिलती है। उन्हें मिले दर्जनों प्रतिष्ठित सम्मान भी उन्हें अहंकार के
गोपाल भाई : रचनात्मक आग एवं उपलब्धि उल्लास की फाग के चितेरे चिंतक
2 Views• प्रमोद दीक्षित मलय गोपाल भाई! पिता जी!! भाई साहब.. ये शब्द केवल कोरे सम्बोधन भर नहीं है बल्कि इन तीन सम्बोधनों में एक
“किस लिए जीते हैं हम किस के लिए जीते हैं, बारहा ऐसे सवालात पे रोना आया…”
0 Viewsअकील अब्बास जाफरी साहिर लुधियानवी उन प्रमुख लेखकों और शायरों में से एक थे, जो 1947 में पाकिस्तान के गठन के बाद भारत से