मान सिंह सनौरी की रिपोर्ट
हमीरपुर: 1911 में बनी अंग्रेजों के जमाने की तिजोरी आज भी हिमाचल के हमीरपुर जिले में मौजूद है। जिले के वार्ड नंबर ग्यारह लाहलडी गांव में यह तिजोरी है। इसे अंग्रेजों के समय में लोगों के पैसों को सुरक्षित रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। वहीं उस समय स्लेटों के व्यापार से कमाए गए पैसों और दस्तावेजों को सम्भाल कर रखने के लिए तिजोरी का इस्तेमाल किया जाता था। इस तिजोरी की खासियत यह है कि इसमें एक चाबी से चार लॉक एक साथ लगते हैं। तिजोरी के लॉक को तलाश करना भी पहेली है।
हमीरपुर के लाहलड़ी गांव के निवासी देवीदास शहेंशाह ने इस तिजोरी को आज भी संभाल कर रखा है। उन्होंने बताया कि यह तिजोरी 1911 में एक नीलामी में हमारे बुजुर्गों द्वारा ली गई थी। इस तिजोरी का प्रयोग पैसों या जरूरी दस्तावेजों को रखने के लिए किया जाता था। इस तिजोरी की खास बात है कि कोई आम आदमी इस तिजोरी को नहीं उठा सकता है। क्योंकि इसका वजन ही डेढ़ क्विंटल के करीब है। इस तिजोरी में एक चाबी से चार लॉक एक साथ लगते हैं। उन्होंने कहा कि अगर इसमें लॉक लगा दिया जाये तो कोई इसे खोल नहीं सकता है।
1932 में बनाया गया मकान भी मौजूद
इसी के साथ 1932 में बनाया गया पत्थरों का एक मकान भी हमीरपुर में मौजूद है। इस मकान के अंदर एक स्तभ ऐसा है जो पूरा एक पत्थर से बना हुआ है। इस मकान की खासियत है कि यह मकान गर्मियों में ठंडा और सर्दियों में गर्म रहता है। हमीरपुर के लाहलड़ी गांव के निवासी देवीदास शहेंशाह ने इस धरोहर को बहुत संभाल कर रखा है जिसमें मौजूदा समय में आंगनवाड़ी केंद्र चल रहा है।
गर्मियों में ठंडा, सर्दियों में गर्म रहता है मकान
देवीदास शहेंशाह ने बताया कि 1932 में बनाये गए इस मकान की खासियत ये है कि ये 24 घंटे ठंडा रहता है। उन्होने कहा कि ये मकान गर्मियों में ठंडा और सर्दियों में गर्म रहता है। गौरतलब है कि आज के समय में इस तरह की पुरातन चीजों को संजो कर रखने में देवीदास शंहशाह ने हामी भरी है जिसे देखकर हर कोई दंग रह जाता है।
Author: samachar
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