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November 2, 2024 10:50 am

23 फीट लंबी मूंछों वाले ये बुजुर्ग योगी के दरबार में आखिर क्यों धक्के खाने पंहुचा ?

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सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट

गोरखपुरः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जनता दरबार में यूं तो दूरदराज से सैकड़ों लोग न्याय की गुहार लगाने पहुंचते हैं लेकिन हमीरपुर से पहुंचे 62 साल के एक व्यक्ति की बात कुछ अलग है। एक तरफ यह शख्स न्याय की गुहार लगाने मुख्यमंत्री के दरबार में पहुंचे हैं तो वहीं दूसरी तरफ उन्हें अपने राज्य देश और गांव का नाम वैश्विक पटल पर रोशन करने के भी चिंता है। न्याय की गुहार लगाने पहुंचे 62 साल के बालकृष्ण राजपूत की मूंछों का राज एनबीटी ऑनलाइन की टीम ने जाना।

राजपूत का कहना है कि पिछले 35 सालों से वह लगातार अपनी मूंछें बढ़ा रहे हैं। इसकी सेवा के लिए वह रोज आंवला, मट्ठा ,शैंपू आदि से मूछों को धोते हैं ताकि उनकी मूंछ ग्रोथ के साथ और चमकीली हो सके। हमीरपुर के थाना मझगांवा के गांव बरुआ के रहने वाले बालकृष्ण राजपूत का कहना है कि उनकी इच्छा है कि वह अपने गांव, देश और राज्य का नाम पूरे विश्व पटल पर रोशन कर सकें। इस वक्त उनकी मूंछ की लंबाई 23 फीट है।

 

सम्मान-पुरस्कार

राजपूत गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराना चाहते हैं। अब तक वह कई छोटे-मोटे आयोजनों के अलावा ग्वालियर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान मूछों के लिए सम्मान और पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं।

परिवार खुश है

उनका कहना है कि मेरी पहचान मेरी मूंछों की वजह से है इसलिए मुझे इसे सहेजने और संवारने में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होती परिवार के लोग भी मेरे शौक से खुश हैं। उन्हें किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है। एनबीटी ने राजपूत से गोरखनाथ मंदिर आने का प्रोयोजन जाना तो उनका कहना था कि वह पिछले तीन बार से लगातार गोरखपुर आ रहे हैं। दबंगों ने गांव में उनके दामाद की हत्या कर दी है और उनकी बेटी को भी प्रताड़ित किया है।

पुलिस के लगा रहे चक्कर

राजपूत ने कहा कि इसे लेकर पिछले कई महीनों से स्थानीय थाने और पुलिस के चक्कर लगा चुका हूं। बावजूद इसके उन्हें न्याय नहीं मिल पाया। उनका कहना है कि न्याय की गुहार लगाने वह गोरखनाथ मंदिर में मुख्यमंत्री से मिलने तीन बार आ चुके हैं। बालकृष्ण कहते हैं कि आशा और दृढ़ विश्वास है कि मुख्यमंत्री के द्वारा मुझे और मेरी बेटी को न्याय मिल पाएगाक्योंकि उनके न्याय का डंका पूरी दुनिया में बज रहा है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."