सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट
मऊ: उत्तर प्रदेश में घोसी विधानसभा का उप चुनाव भारतीय जनता पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गया है। दरअसल, भाजपा छोड़ कर समाजवादी पार्टी में गए दारा सिंह चौहान की घर वापसी हुई। समाजवादी पार्टी के साथ-साथ उन्होंने यूपी विधानसभा सदस्य की सदस्यता से भी इस्तीफा दिया। उप चुनाव की घोषणा हुई। 5 सितंबर को वोट डाले जाएंगे। 8 सितंबर को परिणाम आएगा। लेकिन, यह परिणाम भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. दोनों के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। दरअसल, इस परिणाम के जरिए दोनों ही गठबंधन अपनी ताकत का प्रदर्शन करेंगे। ऐसे में घोसी उप चुनाव एनडीए और I.N.D.I.A. की राजनीतिक पकड़ का विषय बन गया है। यही वजह है कि एनडीए के घटक दलों ने अपनी ताकत घोसी सीट पर दिखानी शुरू कर दी है।
निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर की लगातार सभाएं कर रहे हैं। इनके अलावा भाजपा के कई दिग्गज घोसी उप चुनाव के राजनीतिक मैदान में उतर चुके हैं।
भाजपा और सपा दोनों इस चुनाव में जीत दर्ज कर पूरे प्रदेश में एक अहम संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं। अगर भाजपा जीती तो संदेश साफ जाएगा कि एनडीए की स्थिति और समीकरण दोनों मजबूत हैं। अगर पार्टी को हार मिली तो विपक्षी गठबंधन के लिए यह टॉनिक का काम करेगा। अखिलेश यादव इसके बाद केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ अधिक हमलावर हो सकते हैं।
लोकसभा चुनाव से पहले घोसी का रण अहम माना जा रहा है। पूर्वांचल में भारतीय जनता पार्टी ने दारा सिंह चौहान और ओम प्रकाश राजभर को अपने पाले में लाकर एक बड़ा राजनीतिक दांव खेल दिया है।
ओम प्रकाश राजभर और दारा सिंह चौहान के जरिए पार्टी उम्मीद कर रही है कि ओबीसी वोट बैंक का बिखराव रोकने में सफलता मिलेगी।
भाजपा की रणनीति वोट बैंक को एक पाले में लाकर विनिंग कांबिनेशन तैयार करने की है। घोसी विधानसभा उप चुनाव इस विनिंग कांबिनेशन का लिटमस टेस्ट साबित हो सकता है। भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में ओम प्रकाश राजभर और संजय निषाद के चुनावी मैदान में उतारने का मतलब यह है कि एनडीए अपनी पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ रही है।
ओम प्रकाश राजभर दावा कर रहे हैं कि घोसी में भाजपा उम्मीदवार दारा सिंह चौहान 50 हजार से अधिक वोटों से जीतेंगे। अगर ऐसा संभव होता है तो पूर्वांचल ही नहीं पूरे प्रदेश में संदेश जाएगा कि बीजेपी को राजनीतिक बदलावों का फायदा मिला है।
कहा यह भी जा रहा है कि घोसी का रण ओम प्रकाश राजभर और संजय निषाद के बारगेनिंग पावर को भी असर डालेगा। हालांकि, इस क्षेत्र में दारा सिंह चौहान की भी अपनी अलग पकड़ मानी जाती है। यहां से वे सांसद भी रह चुके हैं। 2022 में घोसी के रिजल्ट को सपा की जीत से कहीं अधिक दारा सिंह चौहान की जीत के रूप में पेश किया गया।
सपा के पीडीए की भी परीक्षा
विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. ने भी घोसी विधानसभा चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। दरअसल, घोसी उप चुनाव इस गठबंधन के सदस्यों की ताकत को भी दिखाएगी। यूपी चुनाव 2022 में समाजवादी पार्टी ने घोसी में भाजपा से आए दारा सिंह चौहान को उतारा था। दारा सिंह चौहान जीते और फिर पार्टी बदलकर भाजपा में चले गए। अब उनके सामने पूर्व विधायक सुधाकर सिंह को उतारकर समाजवादी पार्टी ने एक बड़ा गेम प्लान तैयार किया है। पार्टी ओबीसी वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रही है।
अखिलेश यादव पिछले दिनों में पीडीए (पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक) समीकरण की चर्चा करते दिखे हैं। यह माय (मुस्लिम-यादव) समीकरण से पूरी तरह अलग है। मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद अखिलेश ने अपनी राजनीतिक जमीन को विस्तार देने की योजना पर काम शुरू किया है। घोसी विधानसभा उप चुनाव में उनके पीडीए समीकरण की भी परीक्षा होगी। अखिलेश को इस उप चुनाव में कांग्रेस और राष्ट्रीय लोक दल का साथ मिल गया है।
बसपा चुनावी मैदान में नहीं है। पार्टी की ओर से चुनाव को लेकर कोई चर्चा ही नहीं हुई है। ऐसे में I.N.D.I.A. के दलों को देखें तो कांग्रेस सवर्ण, पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक वोट बैंक में अपनी जगह बनाती दिखती रही है। अगर वह अपने वोट बैंक को सपा में शिफ्ट कराती है तो घोसी का परिणाम बदल सकता है। हालांकि, घोसी में पार्टी के कैडर की स्थिति के बारे में अखिलेश को भी पता है। घोसी में रालोद का समर्थन वोट बैंक से इतर मोरल ज्यादा लगता है।
परीक्षा तो शिवपाल की भी है…
मैनपुरी लोकसभा उप चुनाव के दौरान शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी के लिए सक्रिय हुए। करीब एक दशक पुरानी अखिलेश से रंजिश को भुलाकर परिवार एक हुआ तो मैनपुरी में विशाल जीत मिली। मुलायम के निधन के बाद खाली हुई सीट पर डिंपल यादव जीतकर लोकसभा पहुंची। शिवपाल को इनाम के तौर पर सपा का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया। अखिलेश की कोर टीम में शामिल शिवपाल अपनी राजनीतिक जमीन और रसूख का प्रदर्शन करने के लिए घोसी के मैदान में उतरे हुए हैं। घर-घर प्रचार कर रहे हैं।
घोसी सीटा का परिणाम ऐसे में शिवपाल यादव के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है। अगर वे सपा उम्मीदवार को जिता ले जाते हैं तो पार्टी में उनका रसूख और बढ़ेगा। वहीं, घोसी के मैदान में प्रो. रामगोपाल यादव भी उतरे हैं। हालांकि, अभी तक सीएम योगी आदित्यनाथ और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की सक्रियता इस चुनाव को लेकर नहीं बढ़ी है। अगर ये दोनों जोर लगाते हैं तो यह घमासान और रोचक हो जाएगा।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."