हरीश चंद्र गुप्ता की रिपोर्ट
दुर्ग। कौन कहता है कि आसमान में सुराख नही हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों। दुष्यंत कुमार जी की लिखी गई यह पंक्तियो को दुर्ग के एक छोटे से गांव डूमर डीह मे रहने वाली होनहार छात्रा यमुना चंक्रधारी ने चरितार्थ कर दिया है। इस ग्रामीण क्षेत्र की एक बेटी ने सारी सुख सुविधाओं से दूर बगैर कोचिंग किए नीट के परीक्षा पास की है और जिले के साथ प्रदेश का नाम रोशन किया है। यमुना को नीट में 720 में 516 मिले हैं।
यमुना की ऑल इंडिया रैंकिंग 93,683 और ओबीसी रैंकिंग 42684 रही है। आसमान जब आग उगलता है तो उसी समय गर्म भट्ठे में तपकर एक एक ईंट तैयार की जाती है। सूर्य की इस तपिश के बीच यमुना के हौसले भी बुलंद होते चले गए और उसने डॉक्टर बनने का सपना मन ही मन तय कर लिया। परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण यमुना एक ओर ईंट बनाकर अपने परिवार की मदद करती थी तो दूसरी ओर जब भी वक्त मिलता वो बगैर किसी सुख सुविधाओं के बैठकर नीट की पढ़ाई करने लगती थी।
परिवार की परिस्थितियां लगातार बदलते रही। मौसम भी बदलते रही लेकिन यमुना का लक्ष्य नही बदला। भले ही परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नही थी लेकिन पढ़ाई कर मुकाम हासिल करने के उसके जो मजबूत इरादे थे वह चट्टान की तरह डटी रही जिसका नतीजा ये रहा कि उसने नीट क्वालीफाई कर न सिर्फ दुर्ग जिला बल्कि प्रदेश का मान बढ़ाया है। यमुना बताती है कि उनके पिता का छोटे से ईंट भट्ठे का काम है, क्योंकि आर्थिक स्तिथि ठीक नही है। इसलिए पूरे परिवार को इस ईंट भट्ठे में काम करना पड़ता है।
सेल्फ स्टडी से मिली सफलता
यमुना रोजाना 5 से 6 घंटे के काम के बाद पढ़ाई के लिए भी समय निकलती थी। सेल्फ स्टडी के भरोसे ही चार बार के बाद आखिरकार कामयाबी हासिल हुई है। अब यमुना चक्रधारी का आगे एमबीबीएस पूरा करने के बाद एमडी या एमएस के लिए ट्राई करना अगला लक्ष्य होगा।
डॉक्टर बनाकर गांव में सेवा देना चाहती है यमुना
यमुना चक्रधारी ने बताया कि उतई के डॉक्टर अश्वनी चंद्राकार गांव के लोगो के सेवा में लगे हैं। डॉक्टर अश्वनी चंद्राकार ने यमुना की भी मदद की। अब उसी प्रकार यमुना भी डॉक्टर बनकर अपने गांव के लोगों की सेवा करना चाहती है। यमुना का कहना है कि वो जल्द अपने इस सपने को साकार करेगी। यमुना के अलावा परिवार की एक और होनहार है युक्ति चक्रधारी जो यमुना की ही बडी बहन है। युक्ति चक्रधारी ने वर्ष 2022 में हेमचंद यादव विश्वविद्यालय में एमए इतिहास में टॉप किया। उसने बताया कि पढ़ाई करने के लिए घर में किसी प्रकार का मोबाइल या लैपटाप जैसे संसाधन नही थे। इसके बावजूद हम लोगो ने पढ़ाई की है। घर के सभी सदस्यों द्वारा पिता के ईंट भट्ठे में काम में सहयोग करते है और रात के समय पढ़ाई करते थे।
Author: samachar
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