सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट
गोरखपुर । माफियाओं को गिरफ्तार करने के दावे तो बड़े-बड़े हुए लेकिन लिस्ट में शामिल 3 माफियाओं ने खुद को कोर्ट के समक्ष सरेंडर कर पुलिस की पूरी रणनीति के सामने बड़ी चुनौती पेश कर दी। अब सवाल यह उठता है कि क्या पुलिस 50 हजार के इनामी विनोद उपाध्याय को पकड़ पाएगी? या वह भी अन्य माफियाओं की तरह कोर्ट में समर्पण कर देगा।
प्रयागराज में अतीक अहमद और अशरफ की हत्या के कुछ दिनों बार योगी सरकार ने यूपी के टॉप 66 माफिया की एक लिस्ट जारी की थी। इनमें गोरखपुर के बदमाश विनोद उपाध्याय का नाम भी शामिल है। उपाध्याय गोरखपुर के टॉप 10 अपराधियों की सूची में भी है। जैसे ही यूपी की माफिया लिस्ट में उसका नाम शामिल हुआ, पुलिस उसके पीछे पड़ गई। लखनऊ समेत यूपी के तमाम जिलों में उसकी तलाश की जा रही है। गोरखपुर पुलिस की एक टीम जब विनोद को ढूंढने उसके लखनऊ स्थित फ्लैट पहुंची तो कई हैरान करने वाली जानकारियां मिलीं। यहां विनोद के पड़ोसी उसे पूर्व मंत्री के रूप में जानते थे।
लखनऊ में विनोद उपाध्याय के दो फ्लैट हैं। एक में वह अपने साले के साथ रहता है जबकि दूसरे में उसके गैंग के लोग आसरा लिए हुए हैं। दो दिन पहले ही गोरखपुर पुलिस को विनोद के इन ठिकानों के बारे में पता चला। सर्विलांस की मदद से पुलिस टीम जब तक यहां पहुंची तब तक माफिया अपने साथियों के साथ फ्लैट पर ताला माकर फरार हो गया। गोरखपुर के एसपी सिटी कृष्ण कुमार बिश्नोई का कहना है कि माफिया विनोद उपोध्याय जल्द पुलिस की गिरफ्त में होगा। उसके खिलाफ गैंगस्टर लगाया जाएगा और उसकी प्रॉपर्टी जब्त की जाएगी। कुछ दिन पहले गोरखपुर पुलिस की टीम कानपुर भी पहुंची थी। दरअसल माफिया का लोकेशन कानपुर के पनकी में मिला था लेकिन पुलिस को वह वहां नहीं मिल पाया।
आपको बता दें कि गोरखपुर के कैंट इलाके में दाउदपुर में रहने वाले पूर्व सहायक जिला सरकारी वकील प्रवीण श्रीवास्तव ने माफिया विनोद उपाध्याय, उसके भाई संजय, नौकर छोटू समेत कई के खिलाफ रंगदारी मांगने और तोड़फोड़ करने का मुकदमा दर्ज कराया था। उन्होंने आरोप लगाया कि सलेमपुर में उनकी जमीन है। विनोद उपाध्याय उनको इस जमीन का जबरन बैनाम करने या प्रति प्लाट पांच लाख रुपये रंगदारी देने का दबाव बना रहा है। गुलरिहा थाने की पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर नौकर छोटू को गिरफ्तार कर लिया था। फरार चल रहे विनोद और संजय उपाध्याय पर 25 25 हजार रुपये का इनाम रखा गया है। इनाम राशि बढ़ाने के लिए एसएसपी गौरव ग्रोवर ने आइजी रेंज जे रविंदर गौड़ के पास फाइल भेज दी है।
छात्रसंघ राजनीति से बनाई अपनी पहचान
विनोद उपाध्याय ने अपनी पहचान छात्र राजनीति के जरिये बनाई थी। बात 2002 की है। गोरखपुर यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनाव हो रहे थे। इसमें विनोद ने अपने समर्थन के साथ छात्रसंघ पदाधिकारी का चुनाव एक शख्स को लड़वाया था। चुनाव में वह जीत गया और विनोद उपाध्याय का रुतबा बढ़ गया। 2007 में बसपा शासनकाल में विनोद उपाध्याय की हनक और बढ़ गई थी। उस समय जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन के पद पर उसने एक पूर्व विधायक पक्ष के प्रत्याशी को हरवाकर अपने प्रत्याशी को चेयरमैन बनवाया था। इसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
14 दिन से छापेमारी जारी, फिर भी माफिया पकड़ से दूर
पुलिस की किरकिरी होते देख आलाकमान हरकत में आए। एसएसपी गौरव ग्रोवर द्वारा एसपी नार्थ मनोज कुमार अवस्थी को जांच के लिए नोडल अधिकारी बनाते हुए माफियाओं की अपराधिक कुंडली को फिर से खंगालने का काम शुरू किया गया है। इस कड़ी में 50 हजार के इनामी माफिया विनोद उपाध्याय पर पिछले 13 दिनों में तीन मुकदमे दर्ज होने के बाद पुलिस ने माफिया को गिरफ्तार करने के लिए एड़ी चोटी लगा दी है। जगह-जगह छापेमारी के साथ उसके गुर्गों पर भी कार्रवाई करनी शुरू कर दी है। बावजूद इसके विनोद उपाध्याय के गिरेबान तक पुलिस के हाथ पहुंचने में नाकाम साबित हुए हैं। अब चर्चाओं का बाजार गर्म है कि क्या फिर से एक और माफिया खुद को कोर्ट में समर्पण कर देगा और पुलिस एक बार फिर हाथ मलती रह जाएगी?
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Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."