मुरारी पासवान की रिपोर्ट
कांडी : प्रखंड मुख्यालय कांडी गढ़वा जिला का एक प्रमुख बाजार है। प्रत्येक शुक्रवार को यहां साप्ताहिक बाजार तो लगता ही है। लेकिन प्रतिदिन बाजार क्षेत्र में हजारों की संख्या में महिला पुरुष उपस्थित रहते हैं। इसके साथ ही प्रखंड मुख्यालय में अवस्थित दर्जनों संस्थानों यथा प्रखंड कार्यालय, अंचल कार्यालय, अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अस्पताल, पशु अस्पताल, थाना, 3 कॉलेज, 2 हाई स्कूल, कई प्राइमरी एवं मिडिल स्कूल, शिक्षा विभाग का प्रखंड संसाधन केंद्र, बाल विकास परियोजना, झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी का कार्यालय, बैंक, एफसीआई गोदाम, बस स्टैंड, टेंपो स्टैंड आने जाने वाले करीब आठ से 10,000 व्यक्ति प्रत्येक कार्य दिवस को कांडी में उपस्थित रहते हैं। जिन के पीने के लिए कांडी बाजार में कहीं भी पानी उपलब्ध नहीं है।
कांडी बाजार क्षेत्र के विजय कुमार, मुबारक हुसैन, दिनेश साव, बलराम सोनी, सरफुद्दीन बैठा, इसराइल बैठा, शशि कुमार, बबलू कुमार, संतोष कुमार सहित कई लोगों ने कहा कि मेन बाजार में कर्पूरी चौक, पुराना पुलिस पिकेट के पास, महमूद अली के घर के पास, स्टेट बैंक के निकट व पुराना अस्पताल के पास सार्वजनिक चापाकल हुआ करता था। इनमें से सबका सब चापाकल डेड हो चुका है। इन सबों के डेड हुए सालों बीत गए। लेकिन इनकी जगह नए जलस्रोत सृजन की ओर किसी का ध्यान नहीं है।
बात इतना ही तक नहीं है। बल्कि करीब एक साल पहले मेन बाजार कर्पूरी चौक व पुराना पुलिस पिकेट के चापाकलों को बनाने के नाम पर एक साल पहले अपने को विभागीय आदमी बताकर इन्हें खोलकर पाइप आदि तमाम सामान ले जाया गया है।
कहा गया कि इन चापाकलों को नया सामान लाकर चालू किया जाएगा। उसके बाद आज तक इन चापाकलों के बनाने वालों का कहीं अता पता नहीं चला। इसका मतलब है कि दिनदहाड़े इन चापाकलों से संबंधित सामानों की चोरी करके लोग चंपत हो गए।
लोगों ने बताया कि आज परिस्थिति इतनी भयावह है कि कड़ाके की धूप व लू के थपेड़ों के बीच लोगों को पानी के लिए परेशान देखा जाता है। जिनके पास पैसा होता है वे तो पानी का बोतल खरीद कर या होटल में चाय नाश्ता करके पानी पी लेते हैं। लेकिन जिनके पास जरूरी काम के अलावा पैसा नहीं है इनके लिए दो पनशाला का सहारा है। उनमें भी दिन रात पानी भरने वाले नहीं रहते। फलतः हर समय पानी नहीं मिल पाता।
मालूम हो कि + 2 उच्च विद्यालय कांडी के चापाकल में लगा हुआ जल मीनार भी साल डेढ़ साल पहले से ही सामान की चोरी होने व तोड़ दिए जाने से बेकार पड़ा है। दूसरी तरफ स्टेट बैंक रोड में एक जल मीनार चापाकल में ही लगाया गया था। लेकिन शौचालय निर्माण के क्रम में कई महीनों पहले से खोलकर रखा हुआ है। नतीजा है कि यहां भी किसी को पानी नहीं मिल रहा है।
उपरोक्त ग्रामीणों के साथ-साथ दर्जनों लोगों ने मीडिया के माध्यम से पेयजल एवं स्वच्छता विभाग तथा सामान्य प्रशासन से गुहार लगाई है कि हजारों भटकते लोगों के लिए कम से कम पांच नया चापाकल गड़वाकर बाजार के चारों तरफ पेयजल स्रोत का तत्काल सृजन कराया जाए। क्योंकि मरम्मति कराने की स्थिति में एक भी चापाकल नहीं है। पीने का पानी उपलब्ध नहीं होना इस वक्त की सबसे बड़ी समस्या है।
क्या कहते हैं ईई :- इस संबंध में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता प्रदीप कुमार ने कहा कि यह उनकी जानकारी में नहीं है। बिगड़े चापाकलों की सूची उनके व्हाट्सएप पर भेज दें। सोमवार को बनवा दिया जाएगा।
Author: samachar
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