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18 January 2025 6:36 pm

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बुरा हाल पंजाब का : अमित शाह के सिग्नल पर ताबड़तोड ऐक्शन लेने लगी पंजाब पुलिस

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अनिल अनूप के साथ विकास कुमार की रिपोर्ट 

अमृतसर: वही स्टाइल, वैसी ही वेशभूषा, हूबहू सोच… अमृतपाल सिंह को देखकर लोगों को 30 साल का वो शख्स याद आने लगा था जिसने 40 साल पहले पंजाब को आतंक का गढ़ बना दिया था। नाम था जरनैल सिंह भिंडरावाले। आजादी के साल जन्मा जरनैल जब सिख धर्म की शिक्षा देने वाली संस्था दमदमी टकसाल का अध्यक्ष बना तो उसके नाम के आगे जुड़ गया भिंडरावाले। कुछ ही महीनों में पंजाब में अजीब सा माहौल पैदा हो गया। 1978 में झड़प में कई लोगों की मौत हुई। भिंडरावाले भड़काऊ भाषण देने लगा था। 1981 में लाला जगत नारायण की हत्या होती है लेकिन भिंडरावाले खुलेआम घूमता रहा। 1983 में डीआईजी अटवाल को गोली मार दी जाती है। पंजाब रोडवेज की बस में हिंदुओं को गोलियों से छलनी कर दिया गया। तब केंद्र में इंदिरा गांधी की सरकार थी। पंजाब में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। इसी दौरान भिंडरावाले ने स्वर्ण मंदिर को अपना ठिकाना बना लिया। अकाल तख्त से वह भाषण देने लगा। आखिरकार इंदिरा सरकार ने ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ पर मुहर लगा दी। उस दौर में जो कुछ भी रक्तपात हुआ, उसकी एक ही वजह थी भिंडरावाले। पूरे देश में उथल-पुथल मची।

पता चला था कि कुछ ही दिनों में खालिस्तान की घोषणा होने वाली है और भिंडरावाले के मंसूबे को कामयाब होने से रोकने के लिए उसका पकड़ा जाना जरूरी था। जून 1984 में सेना ने स्वर्ण मंदिर की घेराबंदी की। पंजाब आने वाली ट्रेनें और बसें रोक दी गईं। फोन बंद थे और विदेशी मीडिया को राज्य से बाहर रोक दिया गया। 3 जून को पंजाब में कर्फ्यू लगा और अगले 48 घंटे में सेना की बख्तरबंद गाड़ियां और टैंक स्वर्ण मंदिर के बाहर थे। 6 जून को भिंडरावाले को मार दिया गया लेकिन काफी खून बहा। सरकार के इस ऐक्शन पर सिख समुदाय काफी नाराज हुआ। कई सिख नेताओं के इस्तीफे भी हुए। हालांकि इस ऑपरेशन में सेना के 83 जवान भी शहीद हुए थे। 1500 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया था।

क्या पंजाब को फिर से आतंकवाद और अलगाववाद की तरफ धकेला जा रहा है?

जब से देश के लोगों ने पंजाब के एक थाने के बाहर हजारों की संख्या में तलवार और बंदूकें लिए भीड़ देखी है, एक अलग तरह की आशंका जन्म लेने लगी। क्या पंजाब को फिर से आतंकवाद और अलगाववाद की तरफ धकेला जा रहा है? खुलेआम खालिस्तान की बात करने वाले अमृतपाल सिंह पर सरकार ऐक्शन क्यों नहीं लेती? क्या अमृतपाल सिंह के रूप में पंजाब में नए भिंडरावाले का जन्म हो गया है? इस तरह के कई सवाल पिछले कुछ हफ्तों से लोगों के जेहन में थे। पंजाब से लेकर दिल्ली तक हलचल थी।

केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां मानकर चल रही थीं कि अमृतपाल सिंह के खिलाफ सख्त एक्शन लेने के लिए पंजाब पुलिस के पास पर्याप्त वजह है। केंद्र से पंजाब पुलिस को कार्रवाई के लिए कहा जाने लगा। इधर, गृह मंत्री अमित शाह से मिलने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान पहुंचे। बताते हैं कि कट्टरपंथी सिख नेता के तौर पर अमृतपाल की बढ़ती लोकप्रियता पर शाह ने चिंता जताई और यह भी कहा कि पंजाब पुलिस ने अजनाला घटना को ठीक तरह से हैंडल नहीं किया।

शाह ने मान को साफ कह दिया कि आप राज्य में अलगाववादी तत्वों के खिलाफ सख्त ऐक्शन लीजिए। इससे एक दिन पहले ही शाह ने पंजाब के गवर्नर से इसी मुद्दे पर चर्चा की थी। अमृतपाल सिंह न केवल अलगाववाद को हवा दे रहा था बल्कि संविधान का भी अनादर कर रहा था। उसने शाह को धमकी देते हुए कह दिया था कि इंदिरा गांधी जैसा हश्र होगा और मान के लिए पूर्व पंजाब सीएम बेअंत सिंह का उदाहरण दे रहा था। बताया जा रहा है कि उसके संगठन वारिस पंजाब दे को पाकिस्तान से फंडिंग हो रही है।

अमृतपाल गिरफ्तार या नहीं?

पंजाब पुलिस ने शनिवार को कट्टरपंथी उपदेशक अमृतपाल सिंह के खिलाफ कार्रवाई शुरू की। ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन से जुड़े 78 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है और अमृतपाल सिंह फरार है। हालांकि चर्चा यह भी है कि स्वयंभू सिख उपदेशक अमृतपाल को नकोदर के पास हिरासत में ले लिया गया है लेकिन आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। पंजाब में रविवार दोपहर 12 बजे तक के लिए इंटरनेट सेवाएं रोक दी गई हैं। जालंधर जिले के मेहातपुर गांव में अमृतपाल के काफिले को पुलिस ने रोका था।

पंजाब पुलिस ने लोगों से बिल्कुल भी न घबराने और फर्जी खबरें, नफरत भरे भाषण नहीं फैलाने का अनुरोध किया है। पिछले महीने अमृतपाल और उसके समर्थक तलवारें और पिस्तौल लहराते हुए अमृतसर के अजनाला थाने में घुस गए थे। वहां से जो तस्वीरें और वीडियो पूरी दुनिया ने देखे, वो हैरान करने वाले थे।

अमृतपाल के एक करीबी को छुड़ाने के लिए भीड़ की पुलिस से झड़प हो गई थी। एक पुलिस अधीक्षक समेत छह पुलिसकर्मी घायल भी हो गए थे। बाद में पुलिस अधिकारियों ने बताया था कि उन्होंने ऐक्शन नहीं लिया क्योंकि वे ढाल के रूप में श्री गुरु ग्रंथ साहिब लेकर आए थे।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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