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November 22, 2024 7:06 pm

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हृदयविदारक ; बजबजाती बूढ़ी आंखें बेटे, बहू, पोते और पोती को जिंदा जलते देख भर रही थी…..

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

कानपुर देहात: उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में दिल को झकझोर देने वाली एक वारदात हो गई। रूरा थाना के हरामऊ बंजारी डेरा गांव में शनिवार रात छप्पर में आग लगने से एक ही परिवार के पांच सदस्यों की जलकर दर्दनाक मौत हो गई। इस घटना में झुलसी वृद्धा का इलाज जिला अस्पताल में चल रहा है। रात 12 बजे करीब हुई इस घटना की जानकारी मिलते ही डीएम नेहा जैन, एसपी बीबीजीटीएस मूर्ति के साथ मौके पर पहुंचीं। डीएम ने ग्रामीणों से घटना की जानकारी जुटाई। परिवार को आवास मिलने के बाबत पता किया गया तो जानकारी हुई कि आवास निर्माणाधीन है।

बंजारी डेरा में आग पर काबू पाए जाने के बाद झुलसी सतीश की मां रेशमा को जिला अस्पताल पहुंचाया गया। इसके बाद घटनास्थल से डीएम नेहा जैन जिला अस्पताल पहुंचीं। उन्होंने सीएमओ डॉ. एके सिंह को मौके पर बुलाया। इसके बाद डीएम ने अपनी देख-रेख में महिला का इलाज शुरू कराया। उन्होंने डाक्टरों से कहा कि महिला के इलाज में कोई कसर नहीं होनी चाहिए। डीएम ने सीएमओ को इलाज पर नजर रखने के निर्देश दिए हैं, ताकि कोई लापरवाही न हो सके। डॉक्टरों के मुताबित महिला 20 प्रतिशत जली है। वह खतरे से बाहर है।

खुश था परिवार, उम्मीद थी जल्द मिलेगी छप्पर से निजात

बंजारी डेरा गांव में कच्ची दीवारें बनाकर उसके ऊपर छप्पर रखकर सतीश का परिवार रहता था। इस परिवार में सतीश की पत्नी काजल, बच्चे सन्नी (7), संदीप (4), बेटी ऋषि (2) के अलावा सतीश की मां रेशमा रहती थीं। गरीबी में गुजर बसर कर रहे इस परिवार में होली की खुशियां दोगुनी थी। इसकी वजह थी कि उसे प्रधानमंत्री आवास मिल चुका था। त्योहार के पहले एक किस्त मिल गई थी। उससे आवास का निर्माण शुरू करा दिया था। परिवार में इस बात की खुशी थी कि उसे जल्द ही छप्पर से निजात मिल जाएगी। उसे पक्की छत नसीब होगी, लेकिन ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था। पूरा परिवार छप्पर के नीचे जिंदा जल गया।

बेटे-बहू के साथ पोता-पोती को जिंदा जलते देखा

रेशमा भी छप्पर के किनारे के हिस्से में सो रही थी। रात में जब आग लगी तो परिवार के लोग नहीं जान पाए। आग इतनी तेज हो गई कि फिर किसी को उठकर भागने का मौका नहीं मिला। रात 12 बजे की घटना परिवार गहरी नींद में सो रहा था। किनारे की तरफ सो रही रेशमा को आग की लपटें लगीं तो नींद खुली उसने देखा कि बेटा-बहू के साथ पोता-पोती जिंदा जल रहे हैं। ये देख वह बुरी तरह से रोने चिल्लाने लगी। उसने बचाने की कोशिश की, लेकिन वह भी बुरी तरह से झुलस गई। फायर ब्रिगेड के जवानों ने आग बुझाई तब शव निकाले जा सके।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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