कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
लखनऊः अब्दुल्ला आजम खान समेत उत्तर प्रदेश के 7 ऐसे विधायक हैं, जिन्हें योगी के छह साल के शासन में सजा मिलने की वजह से अपनी विधानसभा सदस्यता से हाथ धोना पड़ा। इनमें अब्दुल्ला आजम ऐसे विधायक हैं, जिन्हें योगी के पहले शासनकाल में यानी 17वीं विधानसभा में भी सदस्यता गंवानी पड़ी थी। अब 18वीं विधानसभा में भी उनकी सदस्यता सजा की वजह से चली गई। 17वीं विधानसभा में चार सदस्यों की सदस्यता रद हुई थी जबकि वर्तमान यानी 18वीं विधानसभा में तीन सदस्यों की सदस्यता गई।
अब्दुल्ला की सदस्यता पहली बार 2019 में नामांकन पत्र में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र लगाने के आरोप में हाई कोर्ट के आदेश पर रद की गई थी। दिसंबर, 2019 में लोक प्रतिनिधि अधिनियम के तहत उनका चुनाव शून्य घोषित करते हुए अब्दुल्ला का निर्वाचन रद किया गया था। अब्दुल्ला के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध नहीं लगा था इसलिए वह 2022 में फिर स्वार सीट से ही विधानसभा सदस्य चुने गए थे। उनके पिता आजम खां की सदस्यता पिछले साल हेट स्पीच के मामले में तीन साल की सजा मिलने पर रद हुई थी।
भाजपा विधायकों की बात करें तो खतौली(मुजफ्फरनगर) के विधायक विक्रम सिंह सैनी की सदस्यता मुजफ्फरनगर दंगे में दो साल की सजा के बाद पिछले साल खत्म हो गई। इससे पहले 17वीं विधानसभा में भाजपा विधायक अशोक चंदेल, कुलदीप सिंह सेंगर और इंद्रमणि तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी की भी सदस्यता भी सजा मिलने के बाद खत्म हो चुकी है। उन्नाव के भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को रेप के मामले में उम्रकैद की सजा मिलने के बाद उनकी सदस्यता रद हुई थी जबकि हमीरपुर से भाजपा विधायक अशोक सिंह चंदेल की सदस्यता सामूहिक हत्याकांड में उम्रकैद की सजा मिलने पर खत्म हुई थी। अयोध्या के विधायक इंद्र तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी की सदस्यता अक्टूबर 2019 में पांच साल की सजा मिलने के बाद रद हुई थी।
Author: samachar
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