दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
फतेहपुर: फतेहपुर की जेल में दस साल पहले एक कृष्णा का जन्म हुआ इसका भगवान कृष्ण से कोई नाता नहीं है, इस कृष्णा को जमुना पार कराने को कोई वासुदेव नहीं आए थे। यह कृष्ण जेल में ही पला और पढ़ा है। जेल से घर जाने के बाद आज भी कृष्णा को जेल ही अपना घर जैसा लगता है अपने दोस्तों की टीम बनाई है।
यह कहानी किसी फिल्म की नहीं है हकीकत है फतेहपुर जिला जेल में जन्मे कृष्णा की और वहीं पर पले सुल्तान की…
इनमें कृष्णा ने जेल में जन्म लिया था और सुल्तान अपनी मां के साथ जेल आया था। सुल्तान के मां की जमानत हो गई तो वह मां के साथ अपने घर चला गया और कृष्णा की उम्र छह वर्ष हुई तो अपने परिजनों के साथ जाना पड़ा। दस वर्षीय कृष्णा और पांच वर्षीय सुल्तान के चेहरे में आज भी जेल की वह यादें खिलखिलाहट भर देती हैं जिन्हें वह जेल में ठहर कर गए हैं।
चोरी के आरोप में कृष्णा की मां को हुई थी जेल
करीब तेरह वर्ष पहले गाजीपुर थाने के गांव शांखा में रहने वाले एक महिला और पुरुष चोरी के आरोप में जेल गए थे। जब महिला जेल गई तो वह गर्भ से थी। 19 जुलाई 2012 को जेल में उस महिला से एक बच्चे ने जन्म लिया। बच्चे लालन-पालन कैदियों और कारागार के कर्मचारियों के बीच में हुआ। वहीं बच्चे को प्राथमिक शिक्षा की शुरुआत भी जेल में ही हुई। करीब छह वर्षों तक जेल में रहा। जेल नियमानुसार मां के साथ बच्चा छह वर्ष की उम्र तक ही रह सकता है।
जेल में अच्छा लगता है -कृष्णा
शुक्रवार को कृष्णा जिला जेल अपनी मां से मिलने आया था। जेल अधीक्षक ने कृष्णा से हालचाल जाना और पूछा कि आपको कहां अच्छा लगता है तो कृष्णा ने जवाब दिया मुझे जेल में अच्छा लगता है।
सुल्तान की मां हुई रिहा
सुल्तान की मां और पिता झारखंड के रहने वाले थे। गांजा की तस्करी के आरोप में दोनों फतेहपुर जेल में बंद थे। करीब छह महीने पहले सुल्तान की मां जमानत पर रिहा हो गई, वहीं पिता अभी भी जेल में है। सुल्तान की मां जब जेल आई थी तब वह करीब दो साल का था। तीन साल तक सुल्तान अपनी मां के साथ जेल में रहा इसी दौरान सुल्तान की जेल में प्राथमिक पढ़ाई की शुरुआत हुई। जेल में रहकर पढ़ना और खेलना सुल्तान की यादों में आज भी भरा हुआ है, जब भी सुल्तान से बात की गई तो बताया कि मुझे जेल में ही अच्छा लगता है।
जेल में रहकर इंग्लिस मीडियम स्कूल में पढ़ा
कृष्णा की उम्र जैसे ही छह वर्ष पूरी हुई तो उसे जेल के नियमों के मुताबिक बाहर जाना था, जबकि कृष्णा की मां को जमानत नहीं मिली। इसलिए कृष्णा के रिस्ते में लगने वाले फूफा ने जिम्मेदारी का बीड़ा उठाया और कौशांबी जिले के सैनी ले गए। मां से मिलने आया कृष्णा ने बातचीत के दौरान बताया कि जब जेल में था तो इंग्लिश स्कूल में पढ़ता था अब गांव की प्राइमरी में कक्षा दो में पढ़ता हूं।
जेल में बच्चों के लिए की जाती हैं पूरी व्यवस्था-जेल अधीक्षक
बातचीत के दौरान जेल अधीक्षक मो. अकरम खान ने बताया कि जेल में जन्मे बच्चे या फिर महिला कैदियों के साथ आए बच्चों की परवरिश की ऐसी व्यवस्था की जाती है, जिसमें बच्चों का सामाजिक और शैक्षणिक विकास अन्य बच्चों की तरह ही किया जा सके, जिसके लिए निःशुल्क अच्छे कान्वेंट स्कूलों में पढ़ाई के साथ-साथ अधुनिक तकनिकी शिक्षा की जानकारी दी जाती है, जिससे वह खुद को किसी से कम ना आंके।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."