राकेश तिवारी की रिपोर्ट
भलुअनी, देवरिया। क्षेत्र के चतुरी में चल रहे भागवत कथा के दूसरे दिन अयोध्या धाम से पधारे स्वामी डॉ राघवाचार्य जी महाराज ने श्रद्धालुओं को संगीतमय कथा का रसपान कराते हुए कहा कि जीव की मुक्ति की कथा ही भागवत कथा है। हम सभी पशु पक्षी के तरह ही जीव हैं, किन्तु जीव में जब धर्मानुसाशन हो जाय तथा उस जीव का आचरण धर्म व वेद के अनुसार होने लगे तब वह जीव मानव बनता है।यही मानव तथा पशु में मूलभेद है। धर्म हमें आचार, विचार तथा संस्कार सिखलाता है। धर्म ही मनुष्य को पशु से अलग करता है। लेकिन धर्म के शिक्षा की कोई व्यवस्था नही है। न तो विद्यालय में नही समाज में धर्म की शिक्षा की कोई व्यवस्था वर्तमान समय मे दिखलाई दे रही है। ऐसी स्थिति में भागवत कथा ही एक ऐसा माध्यम है जिससे कि आचार्य धर्म को लोगों को समझाते हैं या समझते हैं।
आचार्य अपनी चर्चा के द्वारा धर्म को परिभाषित करते हैं। अर्थात कलयुग में भगवान की कथा ही मनुष्य को मुक्ति प्रदान करने की एक मात्र उत्तम व्यवस्था है। इसलिए राजा परीक्षित स्वर्ग से भगवान इंद्र द्वारा लाए अमृत को अस्वीकार कर कथामृत का रसपान करना श्रेयस्कर समझे। भागवत पुराण स्वयं भगवान की दिव्य ज्योति का प्रमाण है। भागवत स्वयं भगवान का रूप है। इसलिए गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा कि ‘सियाराम मैं सब जग जानी’। यह नश्वर संसार ईश्वर का ही रूप है, इसके हेतु व उपादान भी ईश्वर ही हैं।
कथा के दौरान यजमान नरसिंह त्रिपाठी, मालती त्रिपाठी, सुधाकर मिश्र, हैप्पी शुक्ल, संतोष मद्देशिया,वीके शुक्ल, डॉ धर्मेन्द्र पाण्डेय, डॉ शशिकांत तिवारी, सुधा तिवारी, गोमती प्रसाद ओझा, डॉ वेद व्यास तिवारी, प्रेमशंकर मिश्र, गंगाधर तिवारी, चंद्रशेखर शुक्ला, सुधा तिवारी, रामानंद तिवारी, हीरो शुक्ल, डॉ जेडी शुक्ल, मनोज मिश्र, सतीशचंद्र तिवारी, त्रिभुवन तिवारी आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."