मुरारी पासवान की रिपोर्ट
गढ़वा : माघ पूर्णिमा के मौके पर जिले भर में काफी धूमधाम से संत रविदास की जयंती मनाई गई। विभिन्न स्थानों पर लोगों ने कार्यक्रम आयोजित कर संत रविदास को याद किया।
गढ़वा विधायक झारखंड सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर ने कई स्थानों पर आयोजित कार्यक्रम में भाग लेकर संत गुरु रविदास को नमन किया। लोगों ने उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। इस दौरान
मंत्री श्री ठाकुर ने मरहटिया में आयोजित संत रविदास क्लब, डा. भीमराव अम्बेडकर युवा क्लब झूरा, युवा जागृति क्लब पतरिया, न्यू भीम आर्मी भारत रत्न डा. भीमराव अंबेडकर क्लब पिपरा, मसूरिया, संत रविदास जयंती समारोह आयोजन समिति बेलचंपा, रविदास विकास समिति खोरीडीह, अखिल भारतीय रविदास महासभा चामा, संत शिरोमणि रविदास पूजा कमेटी दुलदुलवा, महात्मा ज्योतिराव सह माता सावित्री बाई फुले प्रबुद्ध कमेटी टंडवा आदि स्थानों पर आयोजित कार्यक्रमों में भाग लिया।
मौके पर मंत्री श्री ठाकुर ने कहा कि संत रविवास बेहद धार्मिक स्वभाव के थे। वे भक्तिकालीन संत और महान समाज सुधारक थे। संत रविदास ने भगवान की भक्ति में समर्पित होने के साथ अपने सामाजिक और पारिवारिक कर्त्तव्यों का भी बखूबी निर्वहन किया। इन्होंने लोगों को बिना भेदभाव के आपस में प्रेम करने की शिक्षा दी, और इसी तरह से वे भक्ति के मार्ग पर चलकर संत रविदास कहलाए। उनके उपदेशों और शिक्षा से आज भी समाज को मार्गदर्शन मिलता है। उन्हें रैदास भी कहा जाता है। गुरु रविदास मध्यकाल में एक भारतीय संत थे। जिन्होंने जात-पात के विरोध में कार्य किया। इन्हें सतगुरु अथवा जगतगुरु की उपाधि दी जाती है। इन्होने रैदासिया अथवा रविदासिया पंथ की स्थापना की। वे एक महान संत, दार्शनिक, कवि, समाज सुधारक और भारत में भगवान के अनुयायी हुआ करते थे। निर्गुण सम्प्रदाय के ये बहुत प्रसिद्ध संत थे। जिन्होंने उत्तरी भारत में भक्ति आंदोलन का नेतृत्व किया था। वे बहुत अच्छे कवितज्ञ थे। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से, अपने अनुयायीयों, समाज एवं देश के लोगों को धार्मिक एवं सामाजिक सन्देश दिया। रविदास की रचनाओं में उनके अंदर भगवान् के प्रति प्रेम की झलक साफ़ दिखाई देती थी। वे अपनी रचनाओं के के माध्यम से दूसरों को भी परमेश्वर से प्रेम के बारे में बताते थे, और उनसे जुड़ने के लिए कहते थे। आम लोग उन्हें मसीहा मानते थे, क्योंकि उन्होंने सामाजिक और आध्यात्मिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बड़े बड़े कार्य किये थे। कई लोग इन्हें भगवान् की तरह पूजते थे, और आज भी पूजते है।
उनके अनमोल वचन आज भी हमारे बीच प्रासंगिक हैं।
उन्होंने कहा था –
रविदास जन्म के कारनै, होत न कोउ नीच।
नकर कूं नीच करि डारी है, ओछे करम की कीच।
अर्थात संत रविदास जी के अनुसार कोई भी व्यक्ति किसी जाति में जन्म के कारण नीचा या छोटा नहीं होता है। किसी व्यक्ति को निम्न उसके कर्म बनाते हैं। इसलिए हमें सदैव अपने कर्मों पर ध्यान देना चाहिए।
करम बंधन में बन्ध रहियो, फल की ना तज्जियो आस,
कर्म मानुष का धर्म है, सत् भाखै रविदास।
अर्थात हमें हमेशा कर्म में लगे रहना चाहिए और कभी भी कर्म के बदले मिलने वाले फल की आशा नही छोड़नी चाहिए।क्योंकि कर्म करना हमारा धर्म है, तो फल पाना हमारा सौभाग्य है। उनके अनमोल वचन हम सभी के लिए प्रासंगिक एवं प्रेरक हैं। मौके पर झामुमो केंद्रीय प्रवक्ता धीरज दुबे, जिलाध्यक्ष तनवीर आलम, सचिव मनोज ठाकुर, मेराल प्रखंड प्रमुख दीपमाला, पूर्व जिप उपाध्यक्ष रेखा चौबे, दिलीप गुप्ता, भोला केशरी, नवीन पाठक सहित काफी संख्या में लोग उपस्थित थे।
Author: samachar
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