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18 January 2025 6:36 am

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दिन गुजरे दर्द बाकी ; “मम्मी ये मुझे नोंच रहे हैं..” बेटी के दिल में बैठे दर्दनाक डर की कहानी मां की जुबानी

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सुहानी परिहार की रिपोर्ट 

इंदौर । हाल ही में दो साल की बच्ची से रेप का मामला सामने आया, जिसने मंदसौर की घटना की याद ताजा कर दी। मंदसौर में साल 2018 में सात साल की बच्ची से गैंगरेप हुआ था, इसी दर्दनाक घटना का खौफ आज भी उसे डरा देता है। फिलहाल वह बच्ची इंदौर में होस्टल में रहती है और सातवीं में बहन के साथ पढ़ रही है। बच्ची अब 11 साल की हो गई है, लेकिन आज भी वह अपनी मां से कह उठती है कि वो फिर आने वाले हैं..। कोई उसे नोंच रहा है। डर के मारे कभी रात में उठकर बैठ जाती है। होस्टल में भी आज भी बड़ी बहन के साथ चिपककर ही सोती है। दरिंदों के वार से उसकी एक आंख की रोशनी कम हो चुकी है। उसकी मां से जानिए गैंगरेप पीड़िता बेटी के दिल पर क्या गुजर रही है…

बेटी, मैं हूं ना, डर मत। अपनी बेटी से कहने के लिए मेरे पास यही शब्द हैं। वह कहती भी है कि बड़ी होकर पुलिसवाली बनूंगी। 2018 में जिस हालत में वह मिली थी, उसे सोचकर आज भी रो पड़ती हूं। पूरी खून में लथपथ थी, शरीर पर कपड़े तक नहीं थे। दरिंदों ने उसके सिर में वार किया, आंख बाहर निकाल दी। आज भी उसके ठीक से नहीं दिखता। दिमाग चलना कम हो गया है। पहले तो खूब कूदती उछलती थी, अब गुमसुम ही रहती है। हमें कहा गया कि घर से ही दूर रहना होगा।

चार स्टार वाली मैडम बनूंगी

फिर क्या, हम मंदसौर में ही सबकुछ छोड़कर इंदौर आ गए। बेटी बड़े स्कूल में होस्टल में बहन के साथ पढ़ रही है। मेरी बच्ची के मन में अभी भी डर भरा हुआ है। हादसे के बाद उसका दिमाग चलना कम हो गया है। वह दो साल तक फेल हुई। बच्ची अभी भी इतनी डरती है कि अपनी बहन से चिपककर सोती है। मैं उसे समझाती हूं लेकिन उसके दिमाग से डर नहीं निकलता है। कभी-कभी इतनी डर जाती है कि यूरिन कर देती है। एक बार नींद से उठ जाती है तो फिर सो नहीं पाती। उसकी हालत देखकर अभी भी रोना आ जाता है। मैं उससे होस्टल में मिलने जाती हूं। वह जो मांगती है उसे लाकर देते हैं। बच्ची अच्छे मूड में होती है तो कहती है मैं पुलिस वाली बनूंगी, चार स्टार वाली मैडम बनूंगी।

चार साल में ऐसे तड़पकर बाहर निकली नन्हीं बच्ची

पिता बताते हैं कि ‘जून 2018 में हमारी बच्ची के साथ जो घटना हुई थी। इस घटना ने सिर्फ बच्ची को ही नहीं बल्कि हमारे परिवार, रिश्तेदारों व संबंधियों को भी हिला दिया था। बच्ची ने तब बताया था कि दो अंकल ने कटर रखकर मेरे साथ गलत काम किया…। चिल्लाने पर मेरा गला रेत दिया…। बच्ची तब ज्यादा कुछ भी नहीं बोल पा रही थी। उसकी स्थिति इतनी गंभीर थी। अस्पताल में उपचार के दौरान हम जब उसके पास जाते तो रुह कांप जाती थी और आंसू थमते नहीं थे।

हमारी बच्ची तीन महीने से ज्यादा समय तक अस्पताल में एडमिट रही। तब अस्पताल ही एक तरह से हमारा घर बन गया था। अस्पताल के कॉरिडोर में बैठना और हताश होकर बार-बार डॉक्टरों या नर्सों से यह जानने की कोशिश करना कि बच्ची कब ठीक होगी, यही दिनचर्या थी। भोजन तो क्या पानी भी गले से ठीक से नहीं उतरता था, क्योंकि बालिका के गले पर आरोपियों ने जो वार किए थे उसके कारण उसे काफी दिनों तक तरल पदार्थ भी नहीं दिया जा रहा था, यह देखकर मन बहुत दुखी होता था। 

परिवार में दो और बच्चे भी हैं, उन्हें भी तब सच बताया नहीं जा सकता था लेकिन जिस प्रकार से उस दौरान माहौल था, उन मासूमों की निगाहें की सबकुछ बयां कर देती थी कि वे भी घटना से वाकि‌फ हैं।

चार साल पहले मंदसौर में प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाली 7 साल की बच्ची के साथ दो युवकों ने गैंगरेप कर उसे झाड़ियों में फेंक दिया था। आरोपियों ने उसका गला भी रेत दिया था। इंदौर में तीन महीने तक उसका इलाज चला। वहशीपन के इस मामले की गूंज देशभर में हुई थी। दोनों आरोपी गिरफ्तार हुए और उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर रोक लगा दी, लेकिन बच्ची व परिवार की पीड़ा यहीं खत्म नहीं हुई।

घरबार छोड़ना पड़ा

मामला इतना चर्चित हो गया था कि परिवार को अपनी पहचान छिपाने और घटना से उबरने के लिए मंदसौर का पुश्तैनी मकान ही नहीं शहर ही छोड़ना पड़ा। बीते चार सालों से परिवार की जिंदगी में लगातार संघर्ष चलता रहा और अब उस सदमे से कुछ हद तक बाहर आए हैं। फिर कोरोना के दो साल भी परिवार ने परेशानी में बिताए लेकिन अब दीपावली पर उम्मीदों व खुशियों का उजियारा होगा। बच्ची अब एक बड़े स्कूल में 7वीं कक्षा में हैं। वह पुलिस अफसर बनना चाहती है। पर उसका डर अभी भी उसके आगे चल रहा है।

चेहरे पर दिखते हैं अभी भी घाव

सरकार की ओर से यहां एक मकान उपलब्ध कराया गया। हमें एक छोटा धंधा उपलब्ध कराया। तीनों बच्चों को एक बड़े प्राइवेट स्कूल में एडमिशन दिलाया। बेटी अब 7वीं कक्षा में है, बड़ा बेटा कॉलेज में है, जबकि सबसे बड़ी बेटी 10वीं में हैं। पिता कहते हैं सरकार ने प्लास्टिक सर्जरी कराने की बात कही थी लेकिन पता नहीं फिर बात आगे नहीं बढ़ी।

सीएम की निगरानी में रहा पूरा मामला

तब यह मामला देशभर में गूंजा था जबकि प्रदेश में विपक्ष ने इसे मुद्दा बना दिया था। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने तब पूरे मामले की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी मंदसौर विधायक यशपाल सिसोदिया को दी थी। इसके साथ ही परिवार को जीवन-यापन के लिए नौकरी-धंधा, पीड़िता सहित तीनों बच्चों को आजीवन मुफ्त शिक्षा, मकान आदि की घोषणा की गई। परिवार को विस्थापन के तहत कहां शिफ्ट होना है, इसका विकल्प दिया गया। चूंकि तब बच्ची इंदौर में ही एडमिट थी और उसका लगातार फॉलोअप चलना था तो बच्ची के परिजन ने इंदौर में ही शिफ्ट होने की इच्छा जताई।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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